
कृति सैनन पर भड़कीं दीपिका चिखलिया, बोलीं- हम किसी को गले तक नहीं लगा सकते थे
क्या है खबर?
एक तरफ 'आदिपुरुष' के निर्माता फिल्म के रिलीज को लेकर जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं, दूसरी तरफ फिल्म पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे।
'रामायण' पर आधारित इस फिल्म पर कभी कपड़ों को लेकर विवाद हो रहा है, कभी किरदारों को लेकर तो कभी कलाकारों को लेकर।
हाल ही में निर्देशक ओम राउत ने मंदिर में कृति सैनन को किस किया तो बवाल मच गया।
अब इस पर अभिनेत्री दीपिका चिखलिया ने प्रतिक्रिया दी है।
मामला
निर्देशक ने कृति को मंदिर में किया था किस
तिरुपति में 'आदिपुरुष' का भव्य प्री-रिलीज कार्यक्रम हुआ था। इस कार्यक्रम से पहले निर्देशक ओम राउत, प्रभास और कृति ने तिरुपति मंदिर में वेंकटेश्वर भगवान के दर्शन किए थे।
मंदिर से लौटते वक्त कृति को गाड़ी तक छोड़ते हुए राउत ने उन्हें गले लगाया और गाल पर किस किया। देखते ही देखते इसे लेकर बवाल हो गया और लोग उन्हें मंदिर में ऐसा करने के लिए खरी-खोटी सुनाने लगे।
'आदिपुरुष' 16 जून को रिलीज हो रही है।
गुस्सा
कृति पर फूटा दीपिका का गुस्सा
दीपिका ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शो 'रामायण' में सीता की भूमिका निभाई थी। अब 'आदिपुरुष' की सीता कृति पर उनका गुस्सा फूटा है।
आजतक से बातचीत में दीपिका ने कहा, "आजकल के कलाकारों के साथ यह बड़ी दिक्कत है, वे न किरदार में घुसते हैं, न उसकी भावना को समझ पाते हैं। उनके लिए रामायण शायद एक फिल्म ही रही होगी। मैंने सीता के किरदार को जिया है। आज के कलाकार उसे महज एक रोल समझकर निभाते हैं।"
बयान
"फिल्म के बाद किरदार भूल जाएंगे कलाकार"
दीपिका ने आगे कहा, "हमारे सेट पर किसी की मजाल नहीं थी कि वे हमारा नाम तक लेकर पुकारें। उस वक्त हमें कलाकार समझा ही नहीं गया, हमें भगवान समझ बैठे थे लोग। हम तो किसी को गले तक नहीं लगा सकते थे, किस करना तो बहुत दूर की बात हुई। आदिपुरुष के बाद सभी कलाकार अपने दूसरे प्रोजेक्ट में बिजी हो जाएंगे और किरदार को शायद भूल जाएं। हमारे साथ ऐसा कभी हुआ ही नहीं।"
शिकायत
आजकल की अभिनेत्रियों में नहीं है सीता की सौम्यता
दीपिका ने कहा, "आज की अभिनेत्रियों की बात करूं, तो वो महज अभिनय करती हैं। मेरे लिए यह अभिनय नहीं था, बल्कि मैं तो इसे भक्ति की तरह देखा करती थी। उस वक्त तो हम मेकअप भी कम किया करते थे। अभी की जितनी सीताएं आ रही हैं, वे बेशक बहुत खुबसूरत हैं, लेकिन कहीं न कहीं वो सीता नहीं बन पा रही हैं। उनमें जो सीता का ग्रेस होना चाहिए, वो नहीं है क्योंकि उनमें भक्ति नहीं है।"