OTT और सोशल मीडिया कंटेंट पर सरकार की सख्ती, नियम तोड़े तो होगी कड़ी कार्रवाई
क्या है खबर?
डिजिटल दुनिया में बढ़ते फर्जी कंटेंट, अश्लीलता और साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के नियम और सख्त कर दिए हैं। IT नियम 2021 और BNS 2023 के तहत अब कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी और शिकायतों पर तेज कार्रवाई के साथ अनुपालन रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। ये कदम खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
नियम
साइबर अपराध रोकने के लिए लागू किए सख्त नियम
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और साइबर अपराध रोकने के लिए सख्त नियम लागू कर दिए हैं। इसका मकसद महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए OTT को सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह बनाना है। IT अधिनियम 2000, IT नियम 2021 और भारतीय दंड संहिता के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कानूनी शिकंजा कसा गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सख्ती
अश्लील कंटेंट पर कसा शिकंजा
सरकार ने अब सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील, आपत्तिजनक, नफरत फैलाने वाला और भ्रामक कंटेंट को रोकने के लिए सख्त नियम लागू कर दिए हैं यानी अब प्लेटफॉर्म्स के लिए ये अनिवार्य है कि वो ऐसी सामग्री को होस्ट या शेयर न होने दें। अगर कोई प्लेटफॉर्म ये नियम नहीं मानेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। कुल मिलाकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स अब गलत और आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे।
पाबंदी
डीपफेक, AI कंटेंट पर लगेगी लगाम
अब डीपफेक, AI से बनी फर्जी पहचान और किसी की नकल करने वाले कंटेंट पर साफ प्रतिबंध है। अगर कोर्ट या सरकार कहे कि कोई कंटेंट हटाना है तो प्लेटफॉर्म्स के लिए इसे निर्धारित समय में हटाना कानूनी जिम्मेदारी बन गई है। खासतौर पर नग्नता, निजता का उल्लंघन और फर्जी पहचान वाले कंटेंट को 24 घंटे के अंदर हटाना अनिवार्य है। अगर कोई ऐसा कंटेंट ऑनलाइन होता है तो प्लेटफॉर्म इसे तुरंत हटाने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होगा।
जवाबदेही
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ी जिम्मेदारी
अब हर डिजिटल प्लेटफॉर्म को शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा और 72 घंटे में शिकायत सुलझानी होगी। 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाले प्लेटफॉर्म्स को भारत में स्थानीय अधिकारी रखना और अनुपालन रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को गंभीर अपराधों से जुड़े मैसेज ट्रेस करने में मदद करनी होगी। OTT प्लेटफॉर्म्स को कोड ऑफ एथिक्स मानना होगा। अगर कोई प्लेटफॉर्म कानून के खिलाफ कंटेंट दिखाएगा, तो उसे भारत में ब्लॉक भी किया जा सकता है।