भ्रष्टाचार की CBI जांच के बीच सेंसर बोर्ड के CEO रविंद्र भाकर का तबादला
सेंसर बोर्ड बीते कुछ महीनों से विवादों में हैं। बोर्ड पर से विवादों के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं। अक्टूबर में तमिल अभिनेता विशाल ने सेंसर बोर्ड पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी गई थी। आरोपों के बाद सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी पर खूब उंगलियां उठी थीं। नई खबर के मुताबिक, बोर्ड के CEO रविंद्र भाकर का तबादला कर दिया गया है।
रेलवे विभाग भेजे गए रविंद्र भाकर
टाइम्स नाऊ की खबर के मुताबिक, भाकर का तबादला रेलवे विभाग में कर दिया गया है। उन्होंने 2021 में सेंसर बोर्ड के CEO का पदभार संभाला था। इससे पहले वह रेलवे में ही कार्यरत थे। उनके तबादले की खबर के बाद सेंसर बोर्ड में गहमाहमी है और फिल्म जगत के लोग भी हैरान हैं। उनके कार्यकाल के दौरान ही विशाल ने सेंसर बोर्ड के अधिकारियों पर 7 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था।
सामने नहीं आई तबादले की वजह
भाकर के तबादले पर फिलहाल किसी का आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे में हर कोई उनके तबादले की वजह जानने के लिए उत्सुक है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भाकर के जनसंपर्क अधिकारी ने भी अपना पद छोड़ दिया है। इसी साल जनवरी में रविंद्र ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दिया था। इसके बाद से वह सिर्फ सेंसर बोर्ड के CEO का कामकाज देख रहे थे।
विशाल को 'मार्क एंटनी' के लिए देना पड़ा था रिश्वत
अक्टूबर में विशाल ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाया था कि उन्हें अपनी फिल्म 'मार्क एंटनी' (हिंदी) को पास कराने के लिए 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी थी। इसके लिए उन्होंने 2 बार पैसे भेजे थे, 3 लाख रुपये स्क्रीनिंग के लिए और 3.5 लाख रुपये फिल्म के सर्टिफिकेट के लिए। ट्विटर पर इन आरोपों को साझा करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से कार्रवाई करने की अपील की थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
तमिल फिल्म 'मार्क एंटनी' 15 सितंबर को दक्षिण भारत में रिलीज हुई थी। दर्शकों और समीक्षकों की बेहतरीन प्रतिक्रिया के बाद इसे हिंदी में रिलीज करने का फैसला किया गया था। 29 सितंबर को फिल्म हिंदी में रिलीज की गई थी।
CBI कर रही है मामले की जांच
विशाल के आरोपों के बाद मामले की जांच CBI को दे दी गई थी। CBI ने इस मामले में सेंसर बोर्ड के एक अधिकारी समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया था। एजेंसी ने मुंबई में कई जगहों पर छापे मारे थे और आरोपियों के पास से कुछ पैसे भी बरामद किए थे। बोर्ड पर आरोपों के बाद पूर्व अध्यक्ष पहलाज निहलानी वर्तमान अध्यक्ष प्रसून पर भड़क गए थे और उनके इस्तीफे की भी मांग की थी।