
आमिर खान की 'लगान' का 24 साल बाद भी जलवा कायम, ऑस्कर अकेडमी ने मनाया जश्न
क्या है खबर?
आमिर खान की कई फिल्मों ने दर्शकों का दिल जीता है। इन्हीं में से एक है साल 2001 में आई 'लगान', जिसकी रिलीज को भले ही 24 साल हो गए, लेकिन यह अब भी किसी न किसी वजह से चर्चा में रहती है।
फिल्म ने शानदार कमाई की थी। न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में भी इसने धूम मचाई थी।
अब ऑस्कर अकेडमी ने फिल्म का गाना 'राधा कैसे ना जले' साझा कर इसे सोशल मीडिया पर सम्मान दिया है।
सम्मान
अकेडमी ने यूं मनाया फिल्म का जश्न
अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ने इंस्टाग्राम पर 'लगान' की विरासत का जश्न मनाते इसका लोकप्रिय गाना 'राधा कैसे न जले' का एक क्लिप साझा कर लिखा, 'उसकी आंखों में प्यार, चाहत और थोड़ी सी आग। आशुतोष गोवारिकर की लगान से 'राधा कैसे ना जले' (आशा भोसले और उदित नारायण की आवाज में) पर आमिर खान और ग्रेसी सिंह का परफॉर्मेंस। इस फिल्म को 74वें ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए नामांकित किया गया था।'
प्रतिक्रिया
खुश हो गए आमिर के प्रशंसक
अकेडमी के पोस्ट पर लोग शानदार प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, 'शानदार फिल्म और यह गाना।'
दूसरे ने कमेंट किया, 'ये उनकी सबसे शानदार फिल्मों में से एक रही।'
एक ने लिखा कि आमिर और ग्रेसी सिंह को एक साथ और फिल्में करनी चाहिए थीं, वहीं एक और यूजर ने इस शानदार फिल्म को नामांकित करने के लिए अकेडमी का शुक्रिया अदा किया।
इसके अलावा कइयों ने 'राधा कैसे न जले' को अपना पसंदीदा गाना बताया।
संगीत
'लगान' के संगीत ने भी मचाई थी धूम
नेटफ्लिक्स पर मौजूद 'लगान' का म्यूजिक उसके थीम के साथ बिल्कुल मेल खाता है।
फिल्म में एआर रहमान का संगीत कमाल का रहा, जिसमें कई अलग-अलग साउंड ट्रैक को भी लिया गया था।
इसमें 'राधा कैसे ना जले', 'चले चलो', 'घनन घनन', 'मितवा' जैसे गानों ने धूम मचा दी थी, जिन्हें आज भी याद किया जाता है।
8 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी 25 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने दुनियाभर में 58 करोड़ रुपये कमाए थे।
फिल्म
'लगान' के कलाकार और कहानी
2001 में रिलीज हुई 'लगान' एक पीरियड स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन आशुतोष गोवारिकर ने किया था।
आमिर ने न सिर्फ इसमें मुख्य भूमिका निभाई, बल्कि इसे निर्माण भी किया।
फिल्म में ग्रेसी सिंह, सुहासिनी मुलाय, कुलभूषण खरबंदा और रघुबीर यादव जैसे शानदार कलाकार भी थे।
इसकी कहानी 1893 के ब्रिटिश राज के दौरान एक गांव की है, जहां लोग सूखे और भारी टैक्स से परेशान हैं। इस फिल्म को देशभर के दर्शकों से भरपूर प्यार मिला था।