'अतरंगी रे' रिव्यू: सतरंगी कहानी में कमाल कर गई सारा, धनुष और अक्षय की तिकड़ी
क्या है खबर?
धनुष, सारा अली खान और अक्षय कुमार के अभिनय से सजी 'अतरंगी रे' का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था। फिल्म की कास्टिंग इतनी शानदार है कि इंतजार भी जायज था।
अब आखिरकार यह दर्शकों के बीच आ गई है। फिल्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 24 दिसंबर को रिलीज हुई है। इसका निर्देशन 'रांझणा' जैसी सफल फिल्म निर्देशित कर चुके आनंद एल राय ने किया है और निर्माता हैं भूषण कुमार।
आइए जानते हैं कैसी है 'अतरंगी रे'।
कहानी
कहानी शुरू होती है बिहार की बेबाक और बिंदास रिंकू से
फिल्म शुरू होती है बिहार से, जहां रिंकू उर्फ सारा घर से भाग रही होती है, लेकिन कुछ लोग उसका पीछा कर उसे वापस घर पहुंचा देते हैं। रिकूं ना नानी (सीमा बिस्वास) की गालियों से डरती है और ना ही मार से।
सारा पेशे से जादूगर सज्जाद अली (अक्षय कुमार) के प्यार में गिरफ्तार है और उसके साथ कई बार घर छोड़कर भाग चुकी है। रिंकू की हरकतों से परेशान उसके घरवाले उसकी जबरन शादी करा देते हैं।
कहानी
कौन आता है सारा की जबरदन शादी की गिरफ्त में?
रिंकू के मां-बाप नहीं हैं। उसे उसके नानी-मामा ने ही पाला है। बदनामी के डर से नानी के आदेश पर रिंकू को नशीली दवा खिलाकर उसका पकड़वा विवाह करा दिया जाता है।
बिहार आए मेडिकल स्टूडेंट्स में से एक विशू (धनुष) को पकड़कर उसकी शादी जबरन रिंकू से करा दी जाती है।
ट्विस्ट ये है कि विशू की उसी हफ्ते अपनी प्रेमिका से सगाई होने वाली है। बस यहीं से 'अतरंगी रे' की कहानी सतरंगी होते हुए आगे बढ़ती है।
एक्टिंग
फिल्म में चमक गईं सारा
सारा के अभिनय की बात करें तो उन्होंने कमाल का काम किया है। अभिनय ऐसा होना चाहिए, जो पर्दे पर अभिनय जैसा ना लगे और सारा अपनी पांचवीं फिल्म में यह बखूबी सीख गई हैं।
सारा ने एक ठेठ देसी लड़की के किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया। उन्होंने वो कर दिखाया, जो वह अपनी पिछली फिल्मों में नहीं कर पाईं।
सारा ने अपने किरदार के लिए कितनी मेहनत की है, यह पर्दे पर साफ दिखाई पड़ता है।
एक्टिंग
धनुष और अक्षय ने भी किया प्रभावित
दूसरी तरफ धनुष भी इस फिल्म की जान हैं। उन्होंने फिर यह साबित कर दिया है कि वह एक बेहतरीन अभिनेता हैं। कॉमेडी, ड्रामा, इमोशनल हर एक फ्रेम में वह खूब जमे हैं।
अक्षय के किरदार ने फिल्म में सस्पेंस डालने का काम किया। उनकी भूमिका दिलचस्प है और वह भी पर्दे पर नैचुरल लगे हैं। हमेशा की तरह उन्होंने अपने किरदार की नजाकत को समझा है।
सारा की नानी के किरदार में सीमा बिस्वास ने अच्छा काम किया है।
निर्देशन
आनंद एल राय का निर्देशन काबिल-ए-तारीफ
आनंद राय ने पूरा जोर एक ऐसी फिल्म बनाने पर लगाया है, जो किसी तरह फ्लॉप ना हो। एक प्रेम कहानी के साथ उन्होंने एक बेहद संवेदनशील विषय को दर्शकों के बीच पेश किया है।
ज्यादा ज्ञान दिए बगैर वह अपने दिल की बात दर्शकों तक पहुंचाने में कामयाब हुए हैं। उन्होंने फिल्म को अतरंगी ढंग से बनाया है, जिसे देख मजा आता है।
अपनी पिछली फिल्म 'जीरो' से लड़खड़ाए आनंद को 'अतरंगी रे' ने फिर खड़ा कर दिया है।
म्यूजिक
गीत-संगीत ने बढ़ाया मजा
फिल्म का एक और मजबूत पक्ष है संगीत। इसका गीत-संगीत सुनने लायक है। एआर रहमान और इरशाद कामिल की जोड़ी ने कमाल कर दिया है।
रहमान ने जहां अपने संगीत से फिल्म में चार चांद लगा दिए हैं, वहीं इरशाद के गानों के बोल दिल को छू लेते हैं।
फिल्म के गाने यकीनन इसके प्रति दिलचस्पी बढ़ाते हैं। लंबे समय बाद रहमान और इरशाद पूरे फॉर्म में दिखे हैं। उनके संगीत और गीतों ने कहानी को मधुर बना दिया है।
कमियां
फिल्म की खामियां
कोई शक नहीं कि 'अतरंगी रे' एक अच्छी फिल्म है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसमें कुछ कमियां नहीं हैं। फिल्म की कहानी अनूठी है, लेकिन सेकेंड हॉफ में फिल्म के दृश्य दोहराए से लगते हैं। कुछ हिस्से थोड़े उबाऊ हो जाते हैं।
कहानी कहीं-कहीं धीमी सी लगने लगती है, जो ध्यान भटकाने का काम करती है।
हिमांशु शर्मा ने एक अच्छी कहानी लिखी है, लेकिन अगर यह थोड़ी और चुस्त होती तो और प्रभावी लग सकती थी।
निष्कर्ष
देखें या ना देखें?
'अतरंगी रे' में ड्रामा, रोमांस, इमोशन भरपूर है। इसमें लव ट्राएंगल को सतरंगी अंदाज में पेश किया गया है।
यह एक हटके फिल्म है, जो एक अलग ही सफर पर लेकर जाती है। निर्देशक ने कहा था कि फिल्म देखने के बाद समझ आएगा कि इसका यह नाम क्यों रखा। अब यह भी साफ हो गया है, क्योंकि यह फिल्म सचमुच काफी अतरंगी है। कुल मिलाकर यह देखी जाने वाली फिल्म है।
हमारी तरफ से 'अतरंगी रे' को चार स्टार।