एआर रहमान के बचपन की कहानी दिल दहला देगी, बोले- सड़क पर आ गए थे माता-पिता
क्या है खबर?
संगीत के जादूगर एआर रहमान ने हाल ही में अपने बचपन के दर्दभरे अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे उनके माता-पिता कभी सड़क पर आ गए थे और उनके पिता को परिवार का पेट पालने के लिए रोजाना 3 नौकरियां करनी पड़ती थीं। इस दौरान उन्होंने हर दिन चुनौती और कठिनाइयों का सामना किया, जिसने उनके जीवन और संगीत को भी गहराई से प्रभावित किया। क्या कुछ बोले रहमान, आइए जानते हैं।
दर्द
रहमान का दर्दभरा बचपन
निखिल कामथ से हुई बातचीत में संगीतकार बोले, "जब मैं बड़ा हो रहा था, तब मैंने बहुत कुछ देखा और झेला, जैसे मेरे पिता और दादी का निधन। मैं उस समय सिर्फ 9 साल का था। हर दिन कठिनाइयों और दुखों का सामना कर रहा था। मेरी मां अकेली थीं, लेकिन बेहद आत्मविश्वासी और मजबूत महिला थीं। उन्होंने सारा दर्द सहा और हमें बचाने के लिए बहुत कुछ झेला। अपमानजनक परिस्थितियों का सामना किया और अकेले ही हमें बड़ा किया।"
खुलासा
परिवार के लोगों ने मेरे माता-पिता को घर से निकाल दिया- रहमान
रहमान ने बताया कि उनके पिता की आर्थिक हालत बहुत खराब थी। वो बोले, "मेरा ज्यादातर समय चेन्नई में बीता। मैं वहीं पैदा हुआ और मेरे पिता स्टूडियो में काम करते थे। हम कोडंबक्कम के पास रहते थे, जहां सभी स्टूडियो थे। मेरे पिता और मां को परिवार के लोगों ने घर से निकाल दिया। जब वो सड़क पर आ गए तो उन्होंने किराए के घर में रहना शुरू किया और हमें अपना घर दिलाने के लिए दिन-रात काम किया।"
दुखद
सामने चिता पर पिता और 9 साल के एआर रहमान
रहमान ने बताया कि 3 नौकरियां एक साथ करने से उनका स्वास्थ्य भी काफी खराब हो गया। ये मेरे बचपन का बहुत कठिन समय था और इससे उबरने में बहुत समय लगा।" रहमान आज भी उस दिन को नहीं भूलते, जब आंखों के सामने पिता का पार्थिव शरीर था और उन्होंने उनकी चिता को अग्नि दी। तब वो 9 साल के थे। रहमान ने ये भी बताया कि उन्हें संगीत की तरफ बढ़ने के लिए उनकी मां ने प्रोत्साहित किया।
लोकप्रियता
संगीत की दुनिया का बड़ा नाम हैं रहमान
रहमान ने साल 1992 में निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म 'रोजा' से बतौर संगीतकार शुरुआत की। ये पहली तमिल फिल्म थी, जिसके गाने हिंदी में डब हुए और सुपरहिट साबित हुए। अपनी पहली ही फिल्म के लिए रहमान ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत लिया और कुछ ही सालों में उनके संगीत का डंका पूरी दुनिया में बजने लगा। उनके मशहूर गानों में 'रमता जोगी', 'छोटी सी आशा', 'जय हो', 'कुन फाया कुन', 'यूं ही चला चल राही' सहित कई शुमार हैं।
सम्मान
रहमान जीत चुके कई बड़े सम्मान
रहमान को संगीत के क्षेत्र में 6 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 2009 में फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग और बेस्ट ओरिजिनल स्कोर का ऑस्कर पुरस्कार भी मिल चुका है। उनके नाम 2 ग्रैमी पुरस्कार, 1 BAFTA पुरस्कार, 1 गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर पुरस्कार, 17 साउथ फिल्मफेयर पुरस्कार सहित 130 से भी ज्यादा पुरस्कार हैं। रहमान को भारत सरकार की ओर से पद्मश्री और पद्म भूषण से भी नवाजा गया है।