'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' की आलोचना पर बोले अनुपम खेर- यहां दूध का धुला कोई नहीं
बॉलीवुड और विवादों का पुराना नाता रहा है। खासकर, राजनीतिक मुद्दों पर बनने वाली फिल्में बिना विवादों से गुजरे सिनेमाघरों तक कम ही पहुंच पाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म थी 'द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर'। फिल्म में अनुपम खेर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के किरदार में नजर आए थे। निर्माताओं पर राजनीतिक दुर्भावनाओं से प्रेरित होने का आरोप लगा था और इसे एजेंडा फिल्म कहा गया था। अनुपम खेर ने एक बातचीत में इस पर बयान दिया है।
अनुपम ने पहले कर दिया था मना
एक पॉडकास्ट में अनुपम ने 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में अपने किरदार पर बात की। उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने इस फिल्म के लिए मना कर दिया था। इसके बाद एक दिन वह सामाचार देख रहे थे और उन्होंंने मनमोहन सिंह को चलते हुए देखा। उन्हें देखकर वह भी खड़े हो गए और उनके जैसा चलने की कोशिश करने लगे। वह उनको ठीक से कॉपी नहीं कर पाए। तब उन्होंने सोचा कि उन्हें यह चुनौती लेनी चाहिए।
यहां दूध का धुला कोई नहीं है- अनुपम
अनुपम ने बताया कि इस किरदार में ढलने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की थी। मनमोहन सिंह के हाव-भाव और उनकी चाल को उतारने में उन्हें 8 महीने का वक्त लगा। अनुपम ने आगे कहा, "इसके बावजूद लोगों ने इसे खारिज कर दिया। क्रिटिक्स ने इसे 1 स्टार दिए। उन्होंने कहा यह एजेंडा फिल्म है। किसी को विक्टिम कार्ड नहीं खेलना चाहिए। दूध का धुला कोई भी नहीं है, हमाम में सब नंगे हैं।"
2019 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले आई थी फिल्म
'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' 2019 में आई थी। इसका निर्देशन विजय रत्नाकर ने किया था। फिल्म संजय बारू की किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर आधारित है। संजय बारू मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। यह फिल्म 2019 लोकसभा चुनाव के कुछ महीने पहले रिलीज हुई थी, जिसके कारण इस पर खूब विवाद हुआ था। फिल्म को समीक्षकों ने पसंद नहीं किया था। IMDb पर भी फिल्म की रेटिंग 6 है। इसे आप ZEE5 पर देख सकते हैं।
शुरुआती संघर्ष पर की बात
इसी बातचीत में अनुपम ने अपने करियर के शुरुआती दिनों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि जिस वक्त वह आए थे, उस समय हेयरस्टाइल आपकी प्रतिभा से भी ज्यादा जरूरी था और उनके पास ऐसी हेयरस्टाइल नहीं थी। उन्होंने कहा, "80 के दशक में अगर आप कहो कि आप अभिनेता बनना चाहते हैं और वैसे लगते हैं तो यह मुमकिन नहीं है। मुझे लगता है कि किसी सफर के कोई मायने नहीं है अगर उसमें उतार-चढ़ाव न हों।