मध्य प्रदेश के कॉलेजों में अगले शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई जाएगी भगवद गीता
मध्य प्रदेश सरकार ने छात्रों को भगवद गीता पढ़ाने का फैसला लिया है। अब राज्य के सभी 1,360 कॉलेजों में अगले शैक्षणिक सत्र से ग्रेजुएशन के दूसरे वर्ष में छात्रों को भगवद गीता पढ़ाई जाएगी। हालांकि यह विषय छात्रों के लिए वैकल्पिक होगा। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह छात्रों में जीवन प्रबंधन और नैतिकता को विकसित करने के लिए किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताए गीता की पढ़ाई के फायदे
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, यादव ने कहा, "सरकार की इस पहल का उद्देश्य छात्रों को जीवन के मूल्यों को समझाना है। नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ समृद्ध भारतीय इतिहास के बारे में जानना चाहिए। गीता और रामायण न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि हमें जीवन के मूल्य सिखाते हैं।" यादव ने कहा कि इसके माध्यम से छात्रों को जीवन के मूल्य, जीवन का प्रबंधन और एक निडर जीवन जीने के गुण सिखाए जाएंगे।
कोर्स में एनी बेसेंट जैसी मशहूर हस्तियों की मिलेगी जानकारी
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की कोर्स समिति के एक अधिकारी ने कहा कि इस विषय में एनी बेसेंट जैसी प्रसिद्ध हस्तियों के उदाहरण भी होंगे जिन्होंने गीता पढ़ी और फिर इसका पालन करते हुए इसे अपने जीवन में उतारा। उन्होंने कहा, "इस विषय में केवल श्लोक और उनके अनुवाद नहीं होंगे, बल्कि इस कोर्स को कुछ इस तरह तैयार किया जा रहा है जिससे छात्रों की मानसिक रूप से मजबूत किया जा सके।"
2021 में शुरू हुई थी रामचरितमानस और संस्कृत कर्मकांड विधान की पढ़ाई
2021 में मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि तुलसीदास द्वारा लिखित भगवान राम की कहानी को बताने वाली महाकाव्य कविता श्री रामचरितमानस और संस्कृत कर्मकांड विधानों (मंत्र और पूजा करने के तरीके) को प्रथम वर्ष के छात्रों के सिलेबस में वैकल्पिक विषयों के तौर पर जोड़ा था। अधिकारियों के मुताबिक, 1,360 कॉलेजों में से सिर्फ 97 छात्रों ने रामचरितमानस और पांच ने संस्कृत कर्मकांड को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना।
राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में होती है धर्म से जुड़े विषयों की पढ़ाई
राज्य के भोज मुक्त विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय और विक्रम विश्वविद्यालय ने भी जैन धर्म, वेद शास्त्र, रामायण और महाभारत पर कोर्स शुरू किए हैं। शिक्षाविद् लोकेश मालती प्रकाश ने कहा कि धार्मिक पुस्तकों को शामिल करने से आलोचनात्मक सोच प्रभावित होती है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "एक किताब को केवल एक नजरिए से नहीं पढ़ा जा सकता, जबकि धार्मिक पुस्तकों को केवल सकारात्मक रूप में ही देखा जा सकता है।"
कर्नाटक और गुजरात में भी भगवद गीता पढ़ाए जाने पर हो रहा विचार
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य गुजरात और कर्नाटक में भी भगवद गीता पढ़ाए जाने पर विचार किया जा रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने से जुड़े सवाल पर मार्च में कहा था, "यह गुजरात में किया गया है और हमारे मंत्री का कहना है कि वह इस पर चर्चा करेंगे। देखते हैं कि शिक्षा विभाग क्या विवरण लेकर आता है।''