भारत की पहली नेत्रहीन महिला IAS अधिकारी प्रांजल, जानें संघर्ष और सफलता की कहानी
क्या है खबर?
देश की पहली नेत्रहीन महिला IAS अधिकारी प्रांजल पाटिल ने हाल ही में अक्टूबर 2019 में केरल के तिरुवनंतपुरम में उप-कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला है।
दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा और एक IAS अधिकारी बनने के लिए अपने जीवन में आई सारी बाधाओं का सामना किया और सफलता हासिल की।
इस लेख में प्रांजल पाटिल की संघर्ष और सफलता की कहानी के बारे में बताया गया है।
आइए जानें।
पढ़ाई
छह साल की आयु में खोई आंखों की रोशनी
प्रांजल महाराष्ट्र के उल्हासनगर के रहने वाली थी। पैदाइशी उनकी आंखो की रोशनी कमजोर थी और छह वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी आंखो की रोशनी पूरी तरह से खो दी थी।
उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई मुंबई के कमला मेहता दादर स्कूल से की और सेंट जेवियर्स कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक किया।
उन्होंने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। फिर एकीकृत MPhil और PhD कार्यक्रम के लिए चली गईं।
IAS परीक्षा
पहले प्रयास में ही पास की परीक्षा
छह साल की आयु में आंखो की रोशनी खोने के बाद भी उन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा।
उसने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया और 2016 में अपने पहले प्रयास में अखिल भारतीय रैंक (AIR) 773 हासिल कर परीक्षा पास की।
हालाँकि उसे अच्छी रैंक मिली थी, लेकिन दृष्टिबाधित के कारण उन्हें भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी देने से मना कर दिया गया।
विवरण
डाक और दूरसंचार विभाग में दिया गया नौकरी करने का अवसर
जब प्रांजल को भारतीय रेलवे लेखा सेवा (IRAS) की नौकरी के लिए अनफिट समझा गया, तो यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था। हालाँकि उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी।
उन्होंने अपनी योग्यता के आधार पर अपने हक के लिए संघर्ष किया। बाद में उन्हें डाक और दूरसंचार विभाग के साथ नौकरी करने का ऑफर दिया गया, जो कि उनके स्तर से काफी नीचे थी।
तैयारी
बिना कोचिंग के की तैयारी
दिलचस्प बात यह है कि प्रांजल ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं लेने का विकल्प चुना था, क्योंकि उसे लगता था कि इससे उन पर अनावश्यक दबाव पडेगा।
उन्होंने विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से अपनी परीक्षा की तैयारी की थी, जो उनके लिए किताबें पढ़ सकता था।
इसके साथ ही प्रांजल ने मॉक टेस्ट पेपर भी हल किए और डिस्कशन में भी भाग लिया था।
सफलता
दूसरे प्रयास में हासिल की 124 रैंक
प्रांजल ने 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला किया और अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया। उनकी कड़ी मेहनत ने असर दिखाया और उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में AIR-124 के साथ परीक्षा पास की और वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हो गईं।
IAS अधिकारी ने तिरुवनंतपुरम के उप-कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले केरल के एर्नाकुलम में एक सहायक कलेक्टर के रूप में कार्य किया।