12वीं के बाद पैरामेडिकल में बनाएं एक बेहतरीन करियर, चुनें ये विकल्प
क्या है खबर?
12वीं बायोलॉजी से करने वाले छात्रों के बीच MBBS करना एक लोकप्रिय विकल्प है। वहीं हर कोई MBBS में प्रवेश नहीं ले पाता है, लेकिन अगर आप मेडिकल क्षेत्र में ही एक बेहतरीन करियर बनाने के इच्छुक हैं तो आपके लिए एक और सबसे अच्छा विकल्प पैरामेडिकल है।
आप पैरामेडिकल करके एक बेहतरीन भविष्य बना सकते हैं। पैरामेडिकल स्टाफ की जरुरत हर समय हर जगह होती है।
आइए जानें कैसे बनाएं पैरामेडिकल क्षेत्र में बेहतरीन करियर।
योग्यता
ये लोग कर सकते हैं पैरामेडिकल
किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी व इंग्लिश से 12वीं पास करने वाले पैरामेडिकल कोर्स कर सकते हैं। वहीं पैरामेडिकल के कुछ कोर्सेस के लिए 12वीं में कम से कम 60 प्रतिशति नवंबर होना अनिवार्य है।
पैरामेडिकल से संबंधित कोर्स करने के बाद आपको इमरजेंसी सेंटर, ब्लड डोनेशन सेंटर, डायग्नोसिस सेंटर, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, मेडिसिन लैब, क्लीनिक आदि जगहों पर काम करना होगा।
इसे करने के बाद विदेश में भी नौकरी के काफी अवसर मिलते हैं।
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लैब टेक्नोलॉजी और रेडियोग्राफी करें
लैब टेक्नोलॉजी को क्लीनिकल लेबोरेटरी साइंस भी कहते हैं। इसमें कोई भी दो तरह से टेक्नीशियन और टेक्नोलॉजिस्ट के रुप में काम कर सकता है। लैब टेक्नोलॉजी में ज्यादातर ब्लड बैंकिंग, क्लीनिकल टेक्नोलॉजी, हेमैटोलॉजी, इम्यूनोलॉजी एवं माइक्रो बायोलॉजी से संबंधित काम करने होते हैं।
वहीं रेडियोग्राफी भी पैरामेडिकल में आता है। इस क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, MRI आदि चीजें आती हैं। मेडिकल के क्षेत्र में तकनीक बढ़ने के साथ-साथ ही रेडियोग्राफर का रोल भी बढ़ता जा रहा है।
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ऑप्टोमेट्री और माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजी का विकल्प चुनें
ऑप्टोमेट्री आंखों के परीक्षण, सही डायग्नोसिस एवं उसकी देखभाल से संबंधित है।ऑप्टोमेट्री करके आप आंखों के प्रारंभिक लक्षण, लेंस का समुचित प्रयोग एवं अन्य दिक्कतों को जांचने का काम करेंगे। ऑप्टोमेट्री में इससे संबंधित ही पढ़ाया जाता है।
वहीं माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट का रोल भी पैरामेडिकल के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण होता है। एक माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजिस्ट का काम दवाईंयों आदि की खोज करना होगा। जिससे लोगों के इलाज में बहुत मदद मिलती है।
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थेरेपी के इन क्षेत्रों में बनाएं बेहतरीन करियर
आप फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसे विकल्प चुन सकते हैं।
आज के समय में रहने के तरीकों और जीवनशैली के कारण लोगों को प्रत्येक प्रकार की थेरेपी की जरुरत होती है।
फिजियोथेरेपी में शारीरिक व्यायाम और उपकरणों के जरिए रोगों का इलाज किया जाता है।
वहीं ऑक्यूपेशनल थेरेपी में न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, स्पाइनल कार्ड इंजुरी से लेकर अन्य कई शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं।
स्पीच थेरेपी में हकलाना, तुतलाना, श्रवण क्षीणता जैसी समस्याओं का इलाज होता है।