नए टेक इंस्टीट्यूट को दी सरकार ने चेतावनी, नहीं रख सकते IIT-IIM जैसे नाम
नए टेक इंस्टीट्यूट को सरकार ने चेतावनी दी है। इस चेतावनी में कहा गया है कि वे प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे IITs और IIMs जैसे नाम नहीं रख सकते हैं। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि मौजूदा इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज यदि नया कोर्स शुरू करना चाहते हैं तो केवल रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी नई तकनीक के कोर्स ही ऑफर कर सकते हैं। आइए जानें क्या है पूरी खबर।
नहीं रख सकते ऐसे नाम
इस नियम से संबंधित नए दिशा-निर्देश इस महीने की शुरुआत में तकनीकी शिक्षा के लिए टॉप निकाय ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) द्वारा जारी किए गए थे। जारी किए गए दिशा-निर्देशों में एक नियम को दोहराया गया है, जिसमें नए संस्थानों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIMs) जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों के समान नाम रखने पर रोक लगाई गई है।
क्यों नहीं रख सकते ऐसे नाम?
कई संस्थान ऐसे नाम रख लेते हैं, जिससे उनकी शॉर्ट फॉर्म राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों IIMs और IITs जैसे होती हैं और उनका पूरा नाम अलग होता है। उदाहरण के लिए अगर किसी कॉलेज का नाम इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है तो इसका शॉर्ट फॉर्म IIT होगा, जो कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) जैसा ही होगा। छात्रों में इसको लेकर कोई कन्फ्यूजन न हो, इसलिए नए संस्थानों को ऐसे नाम नहीं रखने की चेतावनी दी गई है।
अब केवल ये पाठ्यक्रम कर सकते हैं शुरू
हर साल इंजीनियरिंग के कॉलेजों में खाली पड़ी लाखों सीटों को देखकर भी कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इनके तहत नए और अतिरिक्त पाठ्यक्रम की शुरूआत करने की सोच रखने वाले इंस्टीट्यूट्स सिर्फ उभरते हुए क्षेत्रों में अतिरिक्त पाठ्यक्रम की शुरूआत कर सकते हैं। AICTE द्वारा दिए गए उदाहरणों में AI, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डेटा विज्ञान, 3D प्रिंटिंग और डिजाइन, आभासी वास्तविकता (AR/VR) और साइबर सुरक्षा शामिल हैं।
क्यों लागू किए गए ये नियम?
AICTE के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे का कहना है कि नए AICTE रेगुलेशन से एक शैक्षणिक माहौल बनाने में मदद मिलेगी जो क्वालिटी को सपोर्ट करेगी और उसे बढ़ावा देगी, ताकि भारत में तकनीकी शिक्षा विश्व स्तर की हो सके। इन नियमों को लागू करने के बाद टेक इंस्टीट्यूट नए पाठ्यक्रम ऑफर नहीं कर पाएंगे और इंजीनियरिंग के लिए अधिक सीटें नहीं बढ़ेंगी, जिससे छात्र अच्छे कॉलेज का आसानी से चयन कर पाएंगे।