#NewsBytesExclusive: 'फिजिक्स गुरु' डॉक्टर एचसी वर्मा के साथ खास बातचीत
क्या है खबर?
डॉक्टर एचसी वर्मा को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। फिजिक्स पढ़ने वाला लगभग हर छात्र उन्हें जानता होगा।
इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले लगभग सभी छात्रों ने उनकी 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' किताब पढ़ी होगी।
IIT कानपुर से रिटायर्ड प्रोफेसर वर्मा अपनी फिजिक्स की किताबों और पढ़ाने के खास तरीकों की वजह से जाने जाते हैं।
न्यूज़बाइट्स से खास बातचीत में उन्होंने भारत में शिक्षा के बारे में बात की और छात्रों और शिक्षकों के लिए कुछ टिप्स भी दिए।
परिचय
जानिये कौन हैं डॉक्टर एचसी वर्मा
डॉक्टर हरीश चंद्र वर्मा IIT कानपुर में प्रोफेसर थे। उनका जन्म साल 1952 में बिहार के दरभंगा में हुआ था।
उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से B.Sc (ऑनर्स) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने IIT कानपुर से M.Sc (फिजिक्स) और Ph.d की पढ़ाई की।
साल 1979 में उन्होंने बतौर लेक्चरर पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। इसके 15 साल बाद 1979 में वे IIT कानपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर बने।
दिनचर्या
रिटायरमेंट के बाद क्या कर रहे हैं डॉक्टर वर्मा?
डॉक्टर वर्मा 2017 में IIT कानपुर से प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए थे। अब वे अपना अधिकतर समय लिखने, छात्रों के सवालों के जवाब देने और एजुकेशनल मटेरियल तैयार करने में बिताते हैं।
उन्होंने बताया कि उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता है। इसके बाद वो छात्रों के ईमेल के जवाब देते हैं और अलग-अलग स्तरों के लिए एजुकेशन मटेरियल तैयार करते हैं।
फिलहाल वे छात्रों को साइंस पढ़ाने के लिए एक ऑनलाइन कोर्स तैयार कर रहे हैं।
जानकारी
डॉक्टर वर्मा के ऑनलाइन कोर्स
जैसा हमने ऊपर बताया डॉक्टर वर्मा ऑनलाइन क्लास भी देते हैं। अगर कोई उनसे जुड़ना चाहता है तो www.hcverma.in और bsc.hcverma.in के जरिए डॉक्टर वर्मा से जुड़ा जा सकता है।
विचार
'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' का विचार कैसे आया?
अपनी किताब 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' के बारे में बताते हुए डॉक्टर वर्मा ने कहा कि पटना साइंस कॉलेज में 3-4 साल पढ़ाने के बाद उन्हें लगा कि मौजूदा किताबें फिजिक्स को जिंदगी से जोड़ नहीं पा रही हैं। इसकी मुख्य वजह छात्रों का फिजिक्स में मन नहीं लगना है।
पढ़ाई में छात्रों के मन नहीं लगने के मुख्य कारण की पहचान कर उन्हें 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' किताब लिखने का विचार आया।
जानकारी
'मेरे छात्र ही मेरे गुरु हैं'
बहुत छात्र डॉक्टर वर्मा को अपना 'फिजिक्स गुरू' मानते हैं। जब डॉक्टर वर्मा से पूछा गया कि उनका गुरू कौन हैं तो उन्होंने कहा, 'मेरे छात्र।' उन्होंने कहा कि वे अभी छात्रों से सीख रहे हैं और सीखना एक लगातार चलते रहने वाली प्रक्रिया है।
शिक्षा व्यवस्था
पढ़ाने के तरीके में सुधार की जरूरत
जब उनसे भारत में उच्च शिक्षा में निवेश की कमी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने सहमति जताते हुए कहा कि निवेश की कमी तो है ही लेकिन असली समस्या दूसरी है।
उन्होंने कहा, "अगर सरकार इसमें निवेश बढ़ा भी दे तो उसका कोई फायदा नहीं होगा। असल में समस्या कुछ और है। हमारे पढ़ाने के तरीके बिल्कुल नीरस और एकतरफा है। पहले इसका समाधान करना जरूरी है उसके बाद फंडिग का फायदा होगा।"
जानकारी
अध्यापकों को ट्रेनिंग की जरूरत
डॉक्टर वर्मा ने कहा, "कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में छात्रों के दिमाग का विकास होता है। वहां काम करने की जरूरत है। अध्यापकों को प्रोत्साहन और ट्रेनिंग की जरूरत है। हमारे पास सरकार की फंडिंग है, लेकिन अध्यापकों को ट्रेनिंग देने वाले लोग नहीं है।"
टिप्स
छात्रों और अध्यापकों को डॉक्टर वर्मा की सलाह
डॉक्टर वर्मा ने कहा कि अध्यापकों को अपने पेशे से प्यार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से वे दिन में 18 घंटे काम कर पा रहे हैं।
छात्रों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को रट्टा मारने की जगह सीखने पर जोर देना चाहिए। आजकल ऑनलाइन बहुत सारी चीजें उपलब्ध हैं उन्हें भी इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "फॉर्मूले और इक्वेशन का रट्टा नहीं मारने की जगह विषय से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए।"
जानकारी
छात्रों के लिए सलाह
डॉक्टर वर्मा ने कहा, "साइंस या दूसरा कोई भी सब्जेक्ट हमारी जिंदगी से बहुत दूर नहीं होना चाहिए। एक बार उससे जुड़ने के बाद आपको इसमें मजा आने लगता है और धीरे-धीरे आप इसमें अच्छा करना शुरू कर देते हैं।"