रुपये की गिरती कीमत के कारण भारतीय छात्रों का अमेरिका जाकर पढ़ाई करना हुआ मुश्किल
क्या है खबर?
रुपये की कीमत दिन-प्रतिदिन नए निचले स्तर को छूती जा रही है। ऐसे में भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने का सपना पूरा करना अब मुश्किल होता जा रहा है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अब उन्हें अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए अधिक पैसा देना होगा।
अमेरिका जाकर पढ़ाई करने का सपना देख रहे छात्रों के पास अगर इतने पैसे नहीं हैं तो उन्हें ऐसे देश का चुनाव करना होगा जहां पढ़ाई कुछ सस्ती हो।
बोझ
अमेरिका में पढ़ाई करने की योजना बना रहे छात्रों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ
समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए अमेरिका में पढ़ाई करने की योजना बना रहे पुष्पेंद्र कुमार ने कहा, "अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है, जिससे विदेश में पढ़ाई करने की चाह रखने वालों की चिंताएं बढ़ गई हैं और यह उनकी पहुंच से बाहर हो गई है।"
उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने से विदेश में पढ़ाई की योजनाओं पर गहरा असर पड़ेगा और वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
उच्च शिक्षा
भारत से 13 लाख से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए गए हुए हैं विदेश
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत से 13.24 लाख से अधिक छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए गए हुए हैं। इनमें से सबसे अधिक छात्र अमेरिका (4.65 लाख) में हैं। इसके बाद कनाडा (1.83 लाख), संयुक्त अरब अमीरात (1.64 लाख) और आस्ट्रेलिया (1.09 लाख) का नंबर आता है।
जानकारी के लिए बता दें कि आज भारतीय रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 80 तक पहुंच गई जो इतिहास में पहली बार हुआ है।
फ़ीस
रूपया गिरने से कितनी अधिक देनी होगी फीस?
क्रिडेंक डॉट काम के संस्थापक अविनाश कुमार ने समझाया कि अगर सबसे हालिया गिरावट के अनुसार बात की जाए तो रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.83 तक पहुंच गया है।
एक छात्र जिसकी एक सेमेस्टर की फीस 40,000 अमेरिकी डॉलर थी, उसे जनवरी 2022 में 29.52 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता, लेकिन अब जब डॉलर 79.83 पर पहुंच चुका है तो इस स्थिति में इतनी ही फीस के लिए छात्र को 31.92 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
कर्ज
डॉलर में कमाई कर रहे लोगों की बल्ले-बल्ले
HDFC क्रेडिला के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO अरिजीत सान्याल ने कहा, "शिक्षा लोन देने वाले कर्जदाताओं की नजर से देखा जाए तो उन्हें छात्रों को ट्यूशन फीस और दूसरे खर्चों को वहन करने के लिए बड़ी राशि का कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी।"
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि इस समय जो लोग कर्ज चुकाने के चरण में हैं, यदि वे डॉलर में कमाई कर रहे हैं तो उनके लिए कर्ज चुकाना आसान होगा।"
विचार
वित्तीय संस्थानों ने पेश किए अपने-अपने विचार
वित्तीय संस्थानों को लगता है कि रूपये की गिरती कीमत के कारण पैदा हुई छात्रों की ये चिंता वास्तविक है और अधिक राशि का शिक्षा ऋण लेने की जरूरत बढ़ सकती है।
वहीं दूसरी तरफ विदेश में रहने वाले शिक्षा सलाहकारों का मानना है कि जो छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में काम करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें इतनी चिंता करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।