
तेजी से बढ़ रही दस्तावेज धोखाधड़ी, अपने पैसे और पहचान की सुरक्षा कैसे करें?
क्या है खबर?
दस्तावेजों से जुड़ी धोखाधड़ी इन दिनों काफी तेजी से बढ़ रही है। अब अपराधी केवल नकली कागजी दस्तावेज ही नहीं बनाते, बल्कि स्कैन किए गए ई-दस्तावेज और डिजिटल ID को भी असली जैसा दिखाने लगे हैं। पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक और प्रमाणपत्रों में छेड़छाड़ कर लोग पहचान की चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी करते हैं। इसके नतीजे बेहद गंभीर होते हैं, जिनमें अनधिकृत लेनदेन, नकली लोन और यहां तक कि झूठे आपराधिक रिकॉर्ड भी शामिल हो सकते हैं।
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धोखेबाजों के तरीके
धोखेबाज दस्तावेज धोखाधड़ी के लिए कई तरकीबें अपनाते हैं। कुछ उन्नत प्रिंटिंग तकनीक से दस्तावेजों को पूरी तरह जाली बनाकर असली जैसा पेश करते हैं। कई बार वे चोरी किए गए असली दस्तावेजों में फोटो, नाम या पते बदल देते हैं। इंटरनेट पर नकली लिंक, फिशिंग मैसेज और असुरक्षित वेबसाइटें लोगों को धोखा देकर उनसे ID या वित्तीय कागजों की स्कैन कॉपी ले लेती हैं। यही डाटा अवैध बैंक खाते खोलने, कर्ज लेने और गलत लेनदेन में इस्तेमाल होता है।
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नुकसान और असर
दस्तावेज धोखाधड़ी पीड़ितों के लिए आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से भारी नुकसान पहुंचाती है। अचानक अकाउंट्स से पैसा गायब होना, बिना लिए कर्ज का बोझ और खराब क्रेडिट रिकॉर्ड जैसी परेशानियां आम हैं। पहचान चोरी की शिकायतों के चलते बैंकों और पुलिस थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं। कई बार चोरी हुई पहचान का इस्तेमाल गलत कामों में हो जाता है, जिससे प्रतिष्ठा को भी नुकसान होता है। यह परेशानी मानसिक तनाव और डर को और बढ़ा देती है।
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बचाव और जरूरी कदम
इस धोखाधड़ी से बचाव के लिए संवेदनशील दस्तावेज कभी भी असुरक्षित माध्यम से साझा न करें। स्कैन की हुई ID केवल सुरक्षित वेबसाइटों पर दें और भुगतान के समय 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) का इस्तेमाल करें। पुराने दस्तावेज नष्ट करना, मजबूत पासवर्ड रखना और उपकरण अपडेट करना बेहद जरूरी है। धोखाधड़ी का संदेह होते ही तुरंत बैंक और पुलिस को सूचित करना चाहिए। क्रेडिट ब्यूरो में रिपोर्ट दर्ज कराना भी जरूरी है। समय रहते कार्रवाई करने से नुकसान घटता है।