
भारत 37 अरब डॉलर के निवेश से बन सकता है पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का बड़ा खिलाड़ी- रिपोर्ट
क्या है खबर?
भारत पेट्रोकेमिकल उद्योग के क्षेत्र में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और जल्द एक बड़ा खिलाड़ी सकता है। S&P ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 37 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 3,300 अरब रुपये) के निवेश से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है। चीन के बाद भारत का यह कदम एशियाई पेट्रोकेमिकल बाजार में आपूर्ति का दबाव और बढ़ा सकता है। अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक क्षमता वृद्धि का एक तिहाई भारत से आएगा।
निवेश
निवेश और आत्मनिर्भरता
भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल उपभोक्ता है, जो अब तक आयात पर निर्भर रहा है, लेकिन अब भारत आयात घटाने के लिए बड़े निवेश कर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 25 अरब डॉलर (लगभग 2,200 अरब रुपये) रिफाइनरी विस्तार में लगाएंगे, जबकि निजी क्षेत्र करीब 1,000 अरब रुपये निवेश करेगा। इन निवेशों से भारत प्लास्टिक बैग से लेकर ऑटो पार्ट्स तक घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाएगा।
क्षमता
क्षमता और प्रतिस्पर्धा
S&P के अनुसार, भारत की क्षमता वृद्धि चीन के बाद दूसरे स्थान पर है और आने वाले वर्षों में एशियाई उद्योग में प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी। हालांकि, क्षेत्र में अतिरिक्त आपूर्ति मौजूद है, भारत की मजबूत घरेलू मांग से स्थानीय उत्पादकों की आय में बढ़ोतरी होगी। पॉलीएथिलीन जैसे उत्पादों की खपत भारत में तेजी से बढ़ रही है। वहीं, वैश्विक कंपनियों को कीमतों के दबाव और संभावित उद्योग समेकन की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
चुनौती
निर्यातकों के लिए चुनौती
एशियाई निर्यातकों के लिए भारत और चीन की आत्मनिर्भरता खतरा साबित हो सकती है, क्योंकि दोनों देश एशिया से भारी आयात करते रहे हैं। अमेरिकी टैरिफ ने निर्यात विकल्प और सीमित कर दिए हैं, जिससे आय पर दबाव और उद्योग में विलय बढ़ सकता है। हालांकि, भारत की मजबूत घरेलू मांग स्थानीय कंपनियों को राहत देगी। S&P का अनुमान है कि भारत अमेरिका को पीछे छोड़कर पॉलीएथिलीन का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बनेगा, जिससे उसका बाजार और मजबूत होगा।