
भारत और अमेरिका के बीच 'मिनी ट्रेड डील' तय समय सीमा तक क्यों नहीं हो पाएगी?
क्या है खबर?
भारत और अमेरिका के बीच 8 जुलाई तक 'मिनी ट्रेड डील' पर सहमति बन पाना अब कठिन लग रहा है।
इस डील का मकसद व्यापार को बढ़ावा देना और कुछ उत्पादों पर लगने वाले भारी टैक्स में राहत देना था, लेकिन अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत शुल्क हटाने में अब तक इच्छा नहीं दिखाने से बातचीत में रुकावट आ रही है।
इस वजह से डील की समयसीमा खतरे में पड़ गई है।
वजह
अमेरिका का भारी शुल्क बना बड़ी रुकावट
भारत ने अमेरिका से स्टील और एल्युमीनियम जैसे उत्पादों पर टैक्स हटाने की मांग की है, क्योंकि इनका निर्यात काफी होता है।
अमेरिका ने इन उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैक्स को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है और उसे हटाने को तैयार नहीं दिख रहा।
भारत को उम्मीद थी कि मिनी डील के तहत इन शुल्कों में राहत मिलेगी, लेकिन अमेरिका की सख्ती से यह डील तय समय पर पूरी होती नहीं दिख रही।
बातचीत
WTO में आपत्ति और बातचीत का हाल
भारत ने अमेरिका के टैक्स फैसले को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है और जवाबी टैक्स की बात भी कही है।
हाल ही में 5 से 10 जून के बीच दिल्ली में बातचीत हुई थी, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।
भारत चाहता है कि कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैक्स घटे और भारत के निर्यात को भी छूट मिले, मगर अमेरिकी अड़चनों के कारण समझौते में देरी तय मानी जा रही है।
आशंका
भारत को कितना हो सकता है नुकसान?
अगर अमेरिका से स्टील और एल्युमीनियम पर भारी शुल्क में राहत नहीं मिली तो भारत को बड़ा निर्यात घाटा हो सकता है।
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 4.56 अरब डॉलर (लगभग 390 अरब रुपये) के ऐसे उत्पाद भेजे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि लगभग 260 अरब रुपये मूल्य के निर्यात पर सीधा असर पड़ सकता है।
इससे न सिर्फ उद्योग प्रभावित होंगे, बल्कि लाखों लोगों की नौकरियों और उत्पादन पर भी खतरा मंडरा सकता है।