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होम लोन के लिए फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में से क्या चुनें? जानिए इनके फायदे-नुकसान 
होम लोन लेने से पहले ब्याज दर विकल्पों पर विचार करना जरूरी होता है (तस्वीर: फ्रीपिक)

होम लोन के लिए फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में से क्या चुनें? जानिए इनके फायदे-नुकसान 

Nov 05, 2025
10:55 pm

क्या है खबर?

नया घर खरीदने के लिए ज्यादातर लोग होम लोन का विकल्प चुनते हैं। इसके लिए आवेदन करते समय ब्याज दर को सबसे ज्यादा तव्वजो दी जाती है। होम लोन लेते समय ऋणदाता आपको ब्याज चुकाने के 2 विकल्प- फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट देते हैं। इनमें से कौनसा सही है? इसको लेकर आवेदनकर्ताओं में जानकारी का अभाव रहता है। आप भी लोन लेने के बारे में सोच रहे हैं तो जानते हैं दोनों में से आपके लिए सही कौनसा है।

फ्लोटिंग रेट 

उतार-चढ़ाव से प्रभावित होती है फ्लोटिंग रेट

फ्लोटिंग रेट विकल्प में ब्याज दरों के साथ-साथ EMI में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है। दरअसल इस विकल्प में ब्याज दरें बैंक की बेंचमार्क दरों के साथ मेल खाती हैं। ऐसे में जब बाजार में उतार-चढ़ाव आता है या रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है तो इससे आपके होम लोन की ब्याज दर और मासिक किस्त भी ऊपर-नीचे होती रहती है। ब्याज दर बढ़ने पर आप EMI नहीं बढ़वाना चाहते तो लोन की अवधि बढ़ा दी जाती है।

फिक्स्ड रेट 

क्या होती है फिक्स्ड रेट? 

होम लोन की फिक्स्ड रेट के तहत आपके लोन की पूरी अवधि के दौरान ब्याज दर एक समान रहती है और इसमें कोई बदलाव नहीं होता है। इसके साथ ही इसमें आपकी निश्चित मासिक किस्त (EMI) भी एक समान रहती है और इसमें भी कोई बदलाव नहीं होता है। कुछ बैंक एक तय अवधि के बाद फिक्स्ड रेट को फ्लोटिंग रेट में बदल देते हैं। ऐसे में इस विकल्प को चुनने से पहले इस बात को जान लेना जरूरी है।

फायदे-नुकसान 

दोनों विकल्पों के क्या हैं फायदे-नुकसान?

फिक्स्ड रेट में आपकी EMI तय रहती है। इस कारण आपकी वित्तीय योजना, नकदी प्रवाह और घर के बजट पर लंबे समय तक कोई असर नहीं पड़ता है। फ्लोटिंग रेट के मामले में EMI या लोन की अवधि बढ़ सकती है, जिससे आपका बजट बिगड़ सकता है। दूसरी तरफ रेपो रेट या बैंक की बेंचमार्क रेट कम होने फ्लोटिंग रेट में ब्याज दर कम होने का फायदा मिलेगा, लेकिन फिक्स्ड रेट में इसका कोई असर नहीं पड़ता है।