गुजरात में वेदांता-फॉक्सकॉन के सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने पर विवाद क्यों हो रहा है?
वेदांता लिमिटेड और ताइवान की दिग्गज कंपनी ने गुजरात में करीब 20 अरब डॉलर (1.54 लाख करोड़ रुपये) की लागत से सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने का ऐलान किया है। इसके लिए दोनों कंपनियों और राज्य सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। इस समझौते के साथ ही इस निवेश को लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया। आइये, समझने की कोशिश करते हैं कि इस मुद्दे को लेकर क्या विवाद हो रहा है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
सबसे पहले परियोजना की बात
13 सितम्बर को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण के लिए वेदांता और फॉक्सकॉन ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इस परियोजना के लिए दोनों कंपनियां 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगी और दावा किया जा रहा है कि इससे एक लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह समझौता होने पर कहा कि यह निवेश अर्थव्यवस्था और नौकरियों को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
कहां से हुई विवाद की शुरुआत?
इस विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बयान से हुई थी। उन्होंने कहा कि इस निवेश के लिए महाराष्ट्र निवेशकों की पहली पसंद था। यह निवेश गुजरात कैसे गया, इसकी जांच होनी चाहिए। इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समेत महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों ने भी इसे लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को घेरा। बताया जा रहा है कि इस निवेश के लिए पूर्ववर्ती सरकार से कंपनी की बात हो चुकी थी।
कंपनी ने महाराष्ट्र में देखी थी जमीन
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में कहा कि यह निवेश महाराष्ट्र से गुजरात इसलिए गया क्योंकि भाजपा ने शिंदे से उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का एहसान चुकाने को कहा था। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि जुलाई में फॉक्सकॉन के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मुलाकात कर तालेगांव में संयंत्र के लिए जमीन भी देखी थी। विपक्ष कह रहा है कि शिंदे सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के आगे समर्पण कर दिया है।
महाराष्ट्र और गुजरात ने की थी कई पेशकश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुजरात ने दोनों कंपनियों को संयंत्र लगाने पर 28,000 करोड़ की कैपिटल सब्सिडी की पेशकश थी, जबकि महाराष्ट्र की तरफ से यह पेशकश 40,000 करोड़ रुपये की थी। गुजरात ने कंपनियों ने मौजूदा भाव की 75 प्रतिशत कीमत पर 200 एकड़ जमीन की पेशकश की, जबकि महाराष्ट्र ने 1,100 एकड़ जमीन की पेशकश की थी, जिसमें से 400 एकड़ मुफ्त, जबकि बाकी 700 एकड़ मौजूदा भाव की 75 प्रतिशत कीमत पर थी।
महाराष्ट्र सरकार का इस पर क्या कहना है?
विपक्ष पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने परियोजना के लिए सहयोग नहीं किया था। उन्होंने कहा कि वो आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल नहीं होना चाहते। शिंदे ने कहा कि वेदांता समूह ने महाराष्ट्र में आईफोन और टीवी विनिर्माण संयंत्र करने की बात कही है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी राज्य में एक बड़ी परियोजना की स्थापना का आश्वासन दिया है।
आरोप-प्रत्यारोपों के बीच कंपनी ने क्या कहा?
आरोप-प्रत्यारोपों के बीच वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने कहा कि गुजरात कंपनी की उम्मीदों पर खरा उतरा है, इसलिए यह फैसला किया गया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि जुलाई में महाराष्ट्र सरकार से मुलाकात के दौरान उन्होंने कई पेशकश कर दूसरे राज्यों को पछाड़ने की कोशिश की थी, लेकिन कंपनी को एक जगह ही काम शुरू करना था और पेशेवर और स्वतंत्र सलाह पर गुजरात का चुनाव किया गया है।