
VPF और GPF में से कौनसा विकल्प सही? जानिए इनके बीच अंतर
क्या है खबर?
आप सरकारी नौकरी में हैं या निजी क्षेत्र में काम करते हैं तो आपके मन में भी निवेश को लेकर कई तरह के विकल्प चलते रहते हैं, लेकिन इनमें से सही का चुनाव नहीं कर पाते। कर्मचारियों के लिए वॉल्यून्ट्री प्रोविडेंट फंड (VPF) और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) के विकल्प भी मिलते हैं। दोनों ही प्रोविडेंट फंड हैं, लेकिन इनके नियम, ब्याज दर और निवेशकों की श्रेणी अलग-अलग होती है। आइए समझते हैं दोनों के बीच क्या अंतर है।
VPF
क्या होता है VPF?
VPF निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है। इसमें वे अपने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाते में अतिरिक्त योगदान कर सकते हैं। आमतौर पर EPF में कर्मचारी 12 फीसदी तक योगदान करता है, लेकिन VPF में वह स्वेच्छा से इससे ज्यादा रकम जमा कर सकता है। वॉल्यून्ट्री प्रोविडेंट फंड पर वही ब्याज मिलता है, जो EPF पर मिलता है। यह दर सरकार द्वारा तय की जाती है और GPF से थोड़ी ज्यादा 8.25 फीसदी होती है।
GPF
क्या होता है GPF?
GPF सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए होता है। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने जमा करता है। यह रकम रिटायरमेंट पर ब्याज समेत मिलती है। इस फंड का पूरा नियंत्रण सरकार के पास होता है और इसमें जमा रकम सुरक्षित मानी जाती है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GPF पर सालाना ब्याज दर 7.1 फीसदी है। यह दर सरकार हर 3 महीने में तय करती है, लेकिन पिछले कई सालों से लगभग यही बनी हुई है।
अंतर
दोनों में क्या है अंतर?
ब्याज दर के लिहाज से VPF थोड़ा ज्यादा फायदेमंद है। इस विकल्प में 10 और 15 साल के निवेश पर ज्यादा फायदा होगा। आप सरकारी कर्मचारी हैं तो आपके लिए GPF पहले से ही अनिवार्य और सुरक्षित है। अगर, आप निजी क्षेत्र में हैं और लंबी अवधि का टैक्स-फ्री, सुरक्षित निवेश चाहते हैं तो VPF सबसे अच्छा विकल्प है। दोनों में ही रिटर्न सुरक्षित हैं, लेकिन ब्याज दर और टैक्स बेनिफिट्स के लिहाज से VPF थोड़ा अच्छा विकल्प है।