वोडाफोन-आइडिया को बड़ी राहत, 87,000 करोड़ रुपये के बकाया AGR पर मिली 5 साल की मोहलत
क्या है खबर?
साल के आखिरी दिन वोडाफोन-आइडिया को केंद्र सरकार से बड़ी राहत मिली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कंपनी को बड़ी राहत देते हुए उसके एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाए पर राहत पैकेज को मंजूरी दे दी है। फैसले के तहत कंपनी के 87,695 करोड़ रुपये के AGR बकाए को फिलहाल 'फ्रीज' कर दिया गया है। समाचार एजेंसी ANI ने बताया कि कंपनी को यह भुगतान अब वित्त वर्ष 2032 से 2041 के बीच करना होगा।
फैसला
कंपनी को 5 साल का मोरेटोरियम भी मिला
मंत्रिमंडल ने वोडाफोन-आइडिया को 5 साल का मोरेटोरियम (भुगतान में छूट) भी दिया है। यानी भुगतान का समयसीमा आगे बढ़ाई गई है, लेकिन AGR बकाया में कोई सीधी कटौती नहीं हुई है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 से संबंधित AGR को कंपनी को वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 के दौरान बिना किसी बदलाव के देना होगा। इस फैसले से नकदी संकट से जूझ रही कंपनी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
समिति
बकाया AGR की दोबारा होगी समीक्षा
रिपोर्ट के मुताबिक, जो बकाया AGR अभी फ्रीज किया गया है, उसकी दोबारा समीक्षा की जाएगी। दूरसंचार विभाग कटौती सत्यापन दिशानिर्देशों और लेखापरीक्षा रिपोर्ट के आधार पर बकाया AGR का पुनर्मूल्यांकन करेगा। सरकार इसके लिए एक समिति का गठन करेगी। यानी भविष्य में इन आंकड़ों में बदलाव की गुंजाइश बनी रहेगी। फिलहाल इस फैसले को वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। कंपनी लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी।
शेयर
राहत के बावजूद कंपनी के शेयर में बड़ी गिरावट
सरकार से मिली राहत के बावजूद वोडाफोन-आइडिया शेयर में भयानक गिरावट आई है। आज 2:15 बजे शेयर 10 प्रतिशत गिरावट के बाद निचले सर्किट पर लॉक हो गया। 15 मिनट बाद और गिरावट हुई और एक शेयर की कीमत 10.25 रुपये पर आ गई। कंपनी का शेयर करीब 16 प्रतिशत गिरकर अपने FPO प्राइस से भी नीचे चला गया। इस दौरान कंपनी का मार्केट कैप 1.38 लाख करोड़ से गिरकर 1.11 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।
वजह
राहत के बावजूद क्यों गिरे शेयर?
बाजार को उम्मीद थी कि सरकार कम से कम 50 प्रतिशत AGR को माफ कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यानी कंपनी को केवल अगले 5 साल तक AGR का भुगतान नहीं करना होगा, लेकिन देनदारी जस की तस ही बनी हुई है। निवेशक इसे केवल तात्कालिक राहत मान रहे हैं, जबकि लंबी अवधि की समस्या यानी भारी कर्ज और कमजोर बिजनेस मेट्रिक्स अब भी बनी हुई है। इसके चलते शेयर कीमतों में गिरावट आई।