
UPI से 3,000 रुपये से अधिक भुगतान पर लग सकता है शुल्क- रिपोर्ट
क्या है खबर?
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के मर्चेंट यूजर्स को जल्द ही भुगतान प्राप्त करने पर सरकार को शुल्क देना पड़ सकता है।
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार 3,000 रुपये से अधिक के UPI लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लागू करने पर विचार कर रही है।
यह कदम बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं की बढ़ती लागतों को ध्यान में रखकर लिया जा सकता है। फिलहाल शून्य-MDR नीति जनवरी, 2020 से लागू है।
फीस
कितनी हो सकती है फीस?
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुझाव दिया है कि बड़े व्यापारियों के लिए UPI लेनदेन पर 0.3 प्रतिशत MDR लागू किया जाए।
वहीं, मौजूदा समय में डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर यह दर 0.9 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक है।
हालांकि, रुपे क्रेडिट कार्ड को इस प्रस्तावित शुल्क से बाहर रखने की संभावना है। छोटे लेनदेन पर छूट जारी रहेगी, लेकिन 3,000 रुपये से अधिक के भुगतानों पर शुल्क लगने की संभावना है।
उद्देश्य
नीति का उद्देश्य और निर्णय की समयसीमा
केंद्र सरकार का उद्देश्य UPI के जरिए होने वाले डिजिटल भुगतानों को अधिक टिकाऊ बनाना है, ताकि वित्तीय कंपनियां और बैंक इस क्षेत्र में निवेश जारी रख सकें।
खुदरा डिजिटल लेनदेन में UPI की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन शून्य शुल्क नीति के कारण निवेश को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा था।
अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय 1-2 महीने में हितधारकों से चर्चा के बाद लिया जा सकता है। इसके बाद दुकानदारों को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा।