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टाटा न्यू में बड़े पैमाने पर हो सकती है कर्मचारियों की छंटनी- रिपोर्ट
टाटा न्यू में बड़े पैमाने पर हो सकती है छंटनी

टाटा न्यू में बड़े पैमाने पर हो सकती है कर्मचारियों की छंटनी- रिपोर्ट

Nov 20, 2025
10:49 am

क्या है खबर?

टाटा समूह के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म टाटा न्यू बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है। द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा डिजिटल अपनी तीसरी बड़ी रणनीतिक बदलाव प्रक्रिया से गुजर रहा है। नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सजित शिवनंदन के नेतृत्व में कंपनी पहली बार GMV-आधारित मॉडल से हटकर ग्रुप-लेवल इंटीग्रेशन की तरफ बढ़ रही है। इसी बदलाव के तहत टाटा न्यू में कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक कम की जा सकती है।

वजह

छंटनी की मुख्य वजह क्या है?

रिपोर्ट के अनुसार, छंटनी का मुख्य कारण टाटा डिजिटल में कार्यप्रणाली को सरल बनाना और समूह-स्तरीय इंटीग्रेशन को मजबूत करना है। कंपनी टाइटन, IHCI, टाटा मोटर्स और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी कंपनियों की डिजिटल मार्केटिंग को सेंट्रलाइज कर रही है। साथ ही बिगबास्केट और क्रोमा में भी रणनीतिक समीक्षा जारी है। नेतृत्व का उद्देश्य दोहराव कम करना, लागत घटाना और डिजिटल ऑपरेशंस को एकीकृत रूप में अधिक प्रभावी बनाना है, जिससे प्रदर्शन सुधारा जा सके।

असर

बिगबास्केट और क्रोमा पर रणनीति का असर

बिगबास्केट के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता उसकी एक्सप्रेस डिलीवरी सर्विस BB नाउ है, जिसका मुकाबला ब्लिंकिट, जेप्टो और स्विगी इंस्टामार्ट जैसे प्लेटफॉर्म से है। क्विक-कॉमर्स में डिलीवरी समय कम हो रहा है और उच्च मार्जिन वाली कैटेगरी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहीं क्रोमा घाटे वाले स्टोर बंद कर ऑपरेशन मजबूत करने और ऑनलाइन चैनल के साथ मिलकर ऑफलाइन-फर्स्ट रिटेलर के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने पर काम कर रहा है, ताकि प्रतिस्पर्धा कम हो सके।

प्राथमिकताएं

भविष्य की प्राथमिकताएं और वित्तीय स्थिति

जानकारों का कहना है कि आगे टाटा डिजिटल 3 मुख्य क्षेत्रों (फाइनेंशियल सर्विसेज, मार्केटिंग सर्विसेज और यूनिफाइड लॉयल्टी इंजन) पर ध्यान देगा। योजना है कि सभी लॉयल्टी प्रोग्राम को एक ही रिवार्ड करेंसी में बदला जाए और डिजिटल मार्केटिंग को सेंट्रलाइज कर टाटा ब्रांड को बेहतर तरीके से मोनेटाइज किया जाए। वित्तीय वर्ष 25 में कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 13.8 प्रतिशत गिरकर 32,188 करोड़ रुपये रहा, जबकि नेट लॉस घटकर 828 करोड़ रुपये हुआ।