
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग कानून याचिकाओं पर सुनवाई नवंबर तक टाली
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने रियल मनी गेमिंग (RMG) पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नवंबर तक के लिए टाल दी है। याचिका में गेमिंग कंपनियों का कहना है कि इस कानून से उनका कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है और उन्हें कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस मामले पर दिवाली की छुट्टियों के बाद विचार किया जाएगा।
दलील
कंपनियों ने दी रोजगार पर असर की दलील
मुख्य याचिकाकर्ता हेड डिजिटल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य कंपनियों ने अदालत से अंतरिम राहत की मांग की। कंपनियों के वकीलों ने कहा कि इस कानून के कारण हजारों नौकरियों पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालेगा, क्योंकि कंपनियों के पास अब कारोबार जारी रखने का कोई रास्ता नहीं है। केंद्र ने दलील दी कि यह मामला पहले के 28 प्रतिशत GST विवाद से जुड़ा हो सकता है।
सुनवाई
सभी याचिकाओं की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं की सुनवाई अब केवल शीर्ष अदालत ही करेगी। इससे पहले ये मामले मध्य प्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली उच्च न्यायालयों में लंबित थे। अब सभी मामलों को एक साथ मिलाकर सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इन उच्च न्यायालयों में चल रही कार्यवाहियां अब आगे नहीं बढ़ेंगी। केंद्र और याचिकाकर्ताओं दोनों ने इस फैसले पर सहमति जताई।
बचाव
सरकार ने कानून का बचाव किया
यह कानून अगस्त, 2025 में पारित हुआ था, जो पैसों के लेनदेन वाले सभी ऑनलाइन गेम पर रोक लगाता है। सरकार का कहना है कि यह कदम जुए और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए जरूरी था। वहीं, कंपनियों का कहना है कि इस प्रतिबंध से 400 से अधिक कंपनियों में 2 लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में हैं। कई गेमिंग प्लेटफॉर्म जैसे MPL और गेम्स24x7 पहले ही कर्मचारियों की छंटनी कर चुके हैं।