तेजी से बढ़ रही लोन पर स्मार्टफोन खरीद पैसा न चुकाने वाले डिफॉल्टरों की संख्या
क्या है खबर?
लोन पर स्मार्टफोन खरीदकर पैसा न चुकाने वाले डिफॉल्टरों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नॉन-बैंकिंग लेंडर्स को ग्राहकों के फोन को रिमोट से ब्लॉक करने से रोक दिया है, जिससे अब असली डिफॉल्ट का आंकड़ा साफ दिखने लगा है। कई डिजिटल लोन कंपनियों का कहना है कि स्मार्टफोन फाइनेंसिंग कैटेगरी में हर महीने लगभग 20 प्रतिशत तक डिफॉल्ट बढ़ रहे हैं और इसकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।
वजह
क्यों बढ़ रहे हैं डिफॉल्टर?
डिफॉल्टर बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि पहले कंपनियां स्मार्टफोन को ब्लॉक करके पैसे वसूलती थीं, लेकिन अब यह तरीका बंद हो चुका है। कई लेंडर्स स्मार्टफोन खरीद को फाइनेंस करते समय फोन पर हक या लियन रखते थे और डिफॉल्ट पर मैन्युफैक्चरर से फोन लॉक करवाते थे। RBI ने इस तरीके पर रोक लगाई, जिससे वसूली मुश्किल हो गई। इसी कारण कई कंपनियां अब स्मार्टफोन लोन देने में भी पहले की तुलना में ज्यादा सावधानी बरत रही हैं।
असर
इंडस्ट्री पर पड़ रहा असर
स्मार्टफोन कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन देश की सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल लेंडिंग कैटेगरी में से एक है और इसमें बजाज फाइनेंस, HDB फाइनेंशियल, DMI फाइनेंस जैसी कंपनियां शामिल हैं। कुल ड्यूरेबल लोन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ स्मार्टफोन का माना जाता है, क्योंकि यह हर घर की नियमित जरूरत बन चुका है। हालांकि, डिफॉल्ट बढ़ने के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या बहुत बड़ी नहीं है और कंपनियां इसे अपने पोर्टफोलियो लेवल पर संभाल सकती हैं।
ट्रेंड
क्या दिख रहा है ट्रेंड?
डाटा बताता है कि कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में थोड़ी गिरावट आई है। इस सेगमेंट में बकाया लोन पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम हुए हैं और क्रेडिट ब्यूरो क्रिफ हाईमार्क के अनुसार भी लोन की संख्या 5 प्रतिशत घटी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये लोन अनसिक्योर्ड होते हैं, इसलिए कंपनियां अब इन्हें सावधानी से दे रही हैं और ज्यादातर बड़े लोन केवल पुराने, भरोसेमंद और समय पर भुगतान करने वाले ग्राहकों को ही दिए जा रहे हैं।