नारायण मूर्ति को है इस बात का पछतावा, खुद किया खुलासा
क्या है खबर?
इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने रविवार को कहा कि उन्हें अफसोस है कि वह अपनी मां को उनके अंतिम दिनों में ही इंफोसिस में ला सके।
अहमदाबाद में उद्योगपति मदन मोहंका की जीवनी पर लिखित 'आई डिड व्हाट आई हैड टु डू' नामक पुस्तक का विमोचन करने के दौरान उन्होंने कहा, "मुझे बुरा लगता है कि मैंने अपनी मां को इंफोसिस आने के लिए तब आमंत्रित किया जब वह मर रही थीं। मैं इंफोसिस बनाने में इतना व्यस्त था।"
अकेलापन
बड़े पद पर होना महसूस कराता है अकेलापन
पुस्तक का विमोचन करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि कंपनी के शीर्ष पद पर होना अकेलापन महसूस कराता है और वह इससे गुजर चुके हैं।
उन्होंने कहा, "मैं कहता रहता हूं कि लीडरशिप आपको बिल्कुल अकेला महसूस कराती है। मैं इससे गुजर चुका हूं और कल मैंने मदन (मोहंका) को कहते हुए सुना कि वे शीर्ष पद पर बहुत अकेलापन महसूस करते हैं, तो मैं मदन और अब मेहुल (मदन के बेटे) दोनों में यह महसूस कर सकता हूं।"