क्रेडिट और डेबट कार्ड पर शुरू करना चाहते हैं ऑटोपे? जान लें इससे जुड़े नियम
क्या है खबर?
जिन लोगों को हर महीने कई तरह के नियमित रूप से करने होते हैं, लेकिन इनमें से कई उनके दिमाग से निकल जाते हैं। इससे उन्हें विलम्ब शुल्क के साथ-साथ क्रेडिट स्कोर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस तरह की चूक से बचाने के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर ऑटोपे सुविधा दी जाती है, जिसे ई-मैंडेट भी कहा जाता है। आप भी यह सुविधा शुरू करने की सोच रहे हैं तो जान लें इससे जुड़े नियम क्या हैं।
तरीका
कैसे चालू करें ऑटोपे?
ऑटोपे सुविधा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार काम करती है, जिन्हें समय-समय पर अपडेट किया जाता है। नियमों के अनुसार, आपका क्रेडिट कार्ड बिल 1 लाख रुपये से अधिक है तो ऑटोपे सुविधा काम नहीं करेगी। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, OTT प्लेटफॉर्म, बीमा कंपनियों और बिजली, गैस और पानी जैसी सेवाओं के लिए उनकी वेबसाइट या ऐप पर ऑटोपे सेट कर सकते हैं। यह बैंक की वेबसाइट या ऐप पर डेबिट/क्रेडिट कार्ड में सीधे भी कर सकते हैं।
एक्टिव
कितने दिन बाद एक्टिव होगी सुविधा?
रजिस्ट्रेशन करने के बाद ऑटोपे 7 दिनों के भीतर एक्टिव हो जाता है। ऐसे में अगर, आपकी भुगतान तिथि अगले 7 दिनों के भीतर है तो अपने नियमित भुगतान माध्यमों का उपयोग करके बकाया राशि का भुगतान करें। ऑटोपे को एक्टिव करके आप बैंक को आपके खाते से पैसे काटने के लिए अधिकृत करते हैं। डेबिट कार्ड के मामले में आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि बकाया राशि चुकाने के लिए अकाउंट में पर्याप्त राशि उपलब्ध हो।
वेरिफिकेशन
कब पड़ती है वेरिफिकेशन की जरूरत?
ऑटोपे रिटर्न शुल्क प्रत्येक ऋणदाता के अनुसार अलग-अलग होते हैं, लेकिन आमतौर पर कुल भुगतान राशि का 2 फीसदी या न्यूनतम 500 रुपये होते हैं। 15,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए बैंक को OTP या वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होती, लेकिन इससे अधिक भुगतान से पहले OTP सत्यापन आवश्यक है। ऑटोपे से 24 घंटे पहले लेनदेन की सूचना देना जरूरी है, जिसमें लिंक के माध्यम से 'ऑप्ट आउट' विकल्प भी मिलता है, जिससे इस भुगतान को रोक सकते हैं।
कार्ड चोरी
कार्ड खो जाए या चोरी हो जाए तो क्या होगा?
ऑटोपे सुविधा वाला कार्ड खो जाए या चोरी हो जाए या स्थायी/अस्थायी रूप से ब्लॉक हो जाए तो लेनदेन अस्वीकार कर दिए जाएंगे। इस दौरान आपको वैकल्पिक तरीकों से बिल भुगतान करने होंगे। ऐसे मामलों में आपको व्यापारी या बैंक की वेबसाइट पर जाकर मौजूदा ई-मैंडेट को हटाना होगा। इसके बाद, कार्डधारक को व्यापारी प्लेटफॉर्म या कार्ड जारीकर्ता बैंक के प्लेटफॉर्म पर एक वैध एक्टिव डेबिट/क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके ई-मैंडेट को दोबारा रजिस्टर करना होगा।