क्या FD और म्यूचुअल फंड्स से बॉन्ड में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद होता है?
क्या है खबर?
जैसे-जैसे लोगों में भविष्य सुरक्षित रखने की सोच बढ़ रही है, वैसे-वैसे निवेश के विकल्प भी बढ़ते जा रहे हैं। सुरक्षित और निश्चित रिटर्न के लिए सबसे पहले फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) का रुख करते हैं। इसके बाद म्यूचुअल फंड्स पर ध्यान जाता है, जिसमें रिटर्न और जोखिम दोनों ज्यादा है। ऐसे में बॉन्ड एक सही विकल्प है, जिसमें FD से ज्यादा रिटर्न और फंड्स से कम जोखिम मिलता है। आइए जानते हैं बॉन्ड में निवेश कितना सही है।
बॉन्ड
क्या होते हैं बॉन्ड?
जब सरकार या किसी निजी कंपनी को पैसों की जरूरत पड़ती है तो वह लोन के लिए बॉन्ड जारी करती है। निवेशक इन बॉन्ड को खरीदकर एक तरह से ऋणदाता बन जाते हैं। बॉन्ड पर लोन लेने वाली संस्था ब्याज के तौर पर रिटर्न देती है। एक निश्चित रिटर्न और अवधि वाला निवेश विकल्प है। कंपनियां जरूरत के आधार पर इन पर 7-14 प्रतिशत के बीच रिटर्न ऑफर करती हैं। इसमें FD की तुलना में अच्छा फायदा मिल जाता है।
जोखिम
जोखिम के लिहाज से कितनी तरह के होते हैं बॉन्ड?
जोखिम के लिहाज से बॉन्ड 2 तरह के होते हैं। सिक्यॉर्ड बॉन्ड पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं। इसमें कंपनी आपसे जो पैसे ले रही है, उसे चुकाने के लिए सुरक्षा के रूप में कुछ न कुछ गिरवी रखती है, जिसे डिफॉल्ट जैसी परिस्थितियों में जब्त किया जा सकता है। दूसरी तरफ अनसिक्यॉर्ड बॉन्ड में काफी रिस्क होता है, क्योंकि इसमें कंपनी कोई चीज गिरवी नहीं रखती है। ऐसे में वह डिफॉल्ट हो जाती है तो आपके पैसे डूब जाएंगे।
परिपक्वता
कब होती है मैच्योर बॉन्ड?
इन बॉन्ड की परिपक्वता अवधि अलग-अलग हो सकती है। अल्पकालिक कुछ महीनों से लेकर 5 वर्ष तक, मध्यमकालिक 5 से 10 वर्ष और दीर्घकालिक 10 वर्ष या उससे अधिक समय के होते हैं। परिपक्वता तिथि यह निर्धारित करती है कि बॉन्डधारक को कितने समय तक ब्याज भुगतान प्राप्त होगा। सरकार समर्थित संस्थाएं कर-मुक्त बॉन्ड जारी करती हैं। इनकी परिपक्वता अवधि 5-50 वर्ष होती है और इन पर अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 10(15) के तहत कर-मुक्त होता है।