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पर्सनल लोन की जगह ओवड्रॉफ्ट कितना सही? जानिए कौनसा विकल्प चुनना सही 
ओवरड्रॉफ्ट पैसों की आवश्यकता पूरी करने का अच्छा तरीका है (तस्वीर: अनस्प्लैश)

पर्सनल लोन की जगह ओवड्रॉफ्ट कितना सही? जानिए कौनसा विकल्प चुनना सही 

Oct 25, 2025
12:03 pm

क्या है खबर?

अचानक से पैसों की जरूरत पड़ने पर ज्यादातर लोग पर्सनल लोन का विकल्प चुनते हैं। आज-कल बैंक ग्राहकों को प्री-अप्रूव लोन की पेशकश करते हैं। इससे उन्हें चुटकियों में कर्जा मिल जाता है, लेकिन अधिक ब्याज दर के साथ आता है और बहुत महंगा पड़ सकता है। कम लोगों को ओवरड्राफ्ट के बारे में पता है, जो पैसों की जरूरत पूरी करने का अच्छा तरीका है। आइये जानते हैं कि ओवरड्राफ्ट आपके लिए कितना सही है।

ओवरड्राफ्ट

क्या होती है ओवरड्राफ्ट सुविधा?

निजी और सरकारी दोनों तरह के बैंकों में ओवरड्राफ्ट सुविधा मिलती है। अधिकतर बैंक चालू खाता, वेतन खाता और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। इससे ग्राहक जरुरत पड़ने पर कैश का इस्तेमाल किया जा सके। यह एक तरह का लोन ही होता है, जो आपके खाते वाले बैंक से मिल जाता है। कई बैंक शेयर, बॉन्ड्स और इंश्योरेंस पॉलिसी के बदले भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। बाद में यह पैसा वापस कर सकते हैं।

तरीका 

किस तरह मिलता है ओवरड्राफ्ट?

इस सुविधा के लिए ऑनलाइन या खुद बैंक जाकर आवेदन कर सकते हैं, लेकिन कुछ को पहले से ही सुविधा मिलती है। कुछ बैंक शुरुआत में प्रोसेसिंग फीस भी लेते हैं। सिक्योर्ड सुविधा में पैसे लेने से पहले शेयर, बॉन्ड्स, FD, घर, इंश्योरेंस पॉलिसी, सैलरी के आधार पर या गिरवी रखकर बैंक से ओवरड्राफ्ट सुविधा ले सकते हैं। दूसरी तरफ अनसिक्योर्ड तब लिया जाता है, जब आपके पास कुछ भी गिरवी रखने के लिए नहीं होता है।

राशि 

कितनी मिलती है राशि?

ओवरड्राफ्ट में ज्यादातर बैंक वेतन और FD के बदले ज्यादा पैसे देते है और लिमिट भी ज्यादा रखते हैं। अगर आपकी पेमेंट हिस्ट्री अच्छी है तो आपके वेतन पर 2-3 गुना तक की रकम दे देते हैं। किसी भी क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन की तुलना में इससे पैसा लेना सस्ता पड़ता है। इसमें जितने समय के लिए पैसे लेते हैं, बस उतने समय के लिए ही लिए गए पैसों पर ब्याज देना पड़ता है।

अंतर 

पर्सनल लोन और ओवरड्रॉफ्ट में अंतर 

बैंक ओवरड्राफ्ट राशि खाते में जमा हो जाने के बाद आप अपनी जरूरतों के हिसाब से एक निश्चित सीमा तक उसमें से पैसे निकाल सकते हैं। इसमें एक क्रेडिट लिमिट दी जाती है और इससे ऊपर निकाले गए पैसे पर ही ब्याज देना पड़ता है। इसका भुगतान आप सुविधानुसार कर सकते हैं। दूसरी तरफ पर्सनल लोन में एकमुश्त राशि मिलती है, जिसे निश्चित समय सीमा में निर्धारित मासिक किस्त से पूरे मूलधन पर ब्याज देकर चुकाना होता है।