
डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर पहुंचा भारतीय रुपया, जानिए क्या रही वजह
क्या है खबर?
भारतीय रुपया बुधवार को अपने रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय मुद्रा 88.80 रुपये प्रति डॉलर पर खुला, जो पिछले बंद भाव से 7 पैसे कमजोर था। शुरुआती कारोबार में यह 88.71 रुपये प्रति डॉलर तक गया। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और H1B वीजा नीतियों में बदलाव की चिंताओं के कारण भारतीय रुपये पर दबाव बना रहा, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से इसे संभलने में कुछ सहायता मिली है।
सुधार
RBI के हस्तक्षेप से हुआ सुधार
कारोबारियों ने कहा कि भारतीय मुद्रा 88.85 के आस-पास कमजोर खुलने की ओर अग्रसर थी, लेकिन केंद्रीय बैंक द्वारा गैर-वितरणीय वायदा और तटीय हाजिर बाजार में संभावित हस्तक्षेप से इसे अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली। इसके बाद यह सोमवार के अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर 88.79 के करीब पहुंच गया। रुपया मंगलवार को 45 पैसे टूटकर अपने सर्वकालिक निचले स्तर 88.73 पर बंद हुआ था। सेंसेक्स और निफ्टी 50 में लगभग 0.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
असर
रुपये में गिरावट से क्या पड़ता है असर?
रुपये की कीमत में गिरावट के कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं। भारतीय मुद्रा की साख गिरना देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालती है। रुपये के कमजोर होने से दूसरे देशों से आयात कर मंगवाए गए सामान के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। इसका खामियाजा विदेशों में पढ़ाई करने के लिए जाने वाले भारतीय छात्रों को भी उठाना पड़ता है। उनका वहां रहना और संस्थानों की फीस चुकाना अधिक खर्चीला हो जाता है।