पिछले वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत रही भारत की GDP विकास दर, अनुमान से अधिक
क्या है खबर?
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर 7.2 प्रतिशत रही। यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 7 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ी अधिक है, लेकिन 2021-22 में दर्ज की गई 9.1 प्रतिशत विकास दर से कम है।
आज जारी किए गए राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, 2022-2023 की चौथी तिमाही यानि जनवरी से मार्च तक भारत की विकास दर 6.1 प्रतिशत रही। तीसरी तिमाही में यहां आंकड़ा 4.5 प्रतिशत था।
अनुमान
क्या कहते हैं आंकड़े?
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में GDP 43.62 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, जबकि 2021-22 की चौथी तिमाही में यह 41.12 लाख करोड़ रुपये थी। यह 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि लगातार 2 तिमाही गिरावट के बाद इस तिमाही GDP विकास दर में वृद्धि हुई है। RBI ने चौथी तिमाही में विकास दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
RBI
RBI के अनुमान से थोड़ी अधिक रही विकास दर
बता दें कि भारत की GDP विकास दर RBI अनुमान से थोड़ी अधिक रही है और उसने वित्त वर्ष 2022-23 में GDP विकास दर 7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान जताया था।
पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर RBI गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अगर GDP विकास दर 7 प्रतिशत से कुछ ऊपर रहे तो इसमें कुछ आश्चर्य नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि साल 2023-24 के दौरान आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
राजकोषीय घाटा
बीते वित्त वर्ष में कितना रहा राजकोषीय घाटा?
आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 2022-23 में GDP का 6.4 प्रतिशत रहा। वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान में भी राजकोषीय घाटा इतने तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था।
लेखा महानियंत्रक (CGA) ने केंद्र सरकार के 2022-23 के राजस्व-व्यय का आंकड़ा जारी करते हुए कहा कि मूल्य के हिसाब से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये (अस्थायी) रहा। सरकार राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बाजार से कर्ज लेती है।
अर्थव्यवस्था
अन्य देशों के मुकाबले अच्छी बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था
ये आंकड़े दर्शाते हैं अन्य देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी बनी हुई है। दुनियाभर की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इस समय आर्थिक मंदी आई हुई है और विश्व बैंक से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तक स्थिति और विकट होने की आशंका जता चुके हैं।
इस मंदी के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा रहा है और विश्व बैंक ने अगले साल भारत की विकास दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।