7 देशों को गैर-बासमती चावल निर्यात करेगी सरकार, चीनी पर लगी रोक को आगे बढ़ाया
केंद्र सरकार ने नेपाल, कैमरून और मलेशिया सहित 7 देशों को गैर-बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्यात राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) के जरिए किया जा सकता है। बता दें कि भारत ने 20 जुलाई को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। दूसरी ओर, चीनी के निर्यात पर लगी रोक को 31 अक्टूबर से आगे बढ़ाया गया है।
1.34 लाख टन चावल निर्यात करेगी सरकार
सरकार ने कुल 7 देशों को 10,34,800 टन गैर-बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी दी है। जानकारी के अनुसार, नेपाल को 95,000 टन, कैमरून को 1.90 लाख टन, कोटे डी आइवर को 1.42 लाख टन, गिनी को 1.42 लाख टन, मलेशिया को 1.70 लाख टन, फिलिपीन को 2.95 लाख टन और सेशेल्स को 800 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया जाएगा। सरकार ने कहा कि कुछ देशों की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर वो निर्यात की अनुमति दे रही है।
पहले भी कई देशों के लिए दी थी निर्यात की अनुमति
सरकार ने अगस्त में मॉरीशस, सिंगापुर और भूटान को गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी थी। इन तीनों देशों को 1.43 लाख टन चावल निर्यात करने का फैसला लिया गया था। 26 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भी 75,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को मंजूरी दी गई थी। इन सभी देशों ने खाद्यान्न संकट की स्थिति के मद्देनजर भारत से चावल का निर्यात जारी रखने की अपील की थी।
जुलाई में सरकार ने लगाई थी रोक
20 जुलाई को भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। तब खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि देश में चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। सरकार के इस कदम से वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मच गई थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चिंता जताते हुए कहा था कि वो भारत सरकार से प्रतिबंध हटाने की मांग करेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
डाटा एनालिटिक्स फर्म ग्रो इंटेलिजेंस के अनुसार, वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। 2022 में चावल निर्यात 3.5 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 2.23 करोड़ टन पहुंच गया था। ये 4 सबसे बड़े चावल उत्पादक देशों के संयुक्त निर्यात से भी ज्यादा है। यूक्रेन संकट के बाद पिछले साल सितंबर में भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। चावल के निर्यात पर भी 20 प्रतिशत टैक्स लगाया गया था।