
नौकरी छूटने के बाद सैलरी अकाउंट को शून्य रखरखाव वाले अकाउंट में कैसे बदलें?
क्या है खबर?
जब तक नौकरी चलती है, तब तक वेतन अकाउंट शून्य बैलेंस और मुफ्त सेवाओं वाला होता है। हालांकि, अगर 3 महीने तक वेतन नहीं आता है, तो बैंक इसे सामान्य बचत अकाउंट में बदल देता है। इसके बाद अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी हो जाता है, जो बैंक के अनुसार 5,000 रुपये से 15,000 रुपये तक हो सकता है। इस नियम की अनदेखी करने पर जुर्माना लग सकता है और कई सुविधाएं भी खत्म हो जाती हैं।
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जीरो बैलेंस अकाउंट खुलवाना बेहतर विकल्प
अगर आपकी नौकरी कुछ समय पहले छूट गई है या आप फ्रीलांसिंग कर रहे हैं, तो अपने बैंक से जीरो बैलेंस अकाउंट शुरू करने का अनुरोध कर सकते हैं। इसके लिए मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग या बैंक शाखा जाकर आवेदन किया जा सकता है। बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट (BSBDA) चुनना अच्छा रहेगा, क्योंकि इसमें न्यूनतम बैलेंस की जरूरत नहीं होती और यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मान्यता प्राप्त अकाउंट होता है।
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BSBDA अकाउंट के लाभ और व्यवहारिकता
BSBDA में 4 मुफ्त निकासी और UPI जैसे डिजिटल ट्रांजैक्शन की सुविधा मुफ्त में मिलती है। यह अकाउंट नौकरी बदलते समय या आर्थिक रूप से अस्थिर स्थिति में मददगार होता है। अगर आपके अकाउंट से EMI या बिल कटते हैं, तो अकाउंट चालू रखना फायदेमंद रहेगा। ये अकाउंट नियोक्ता वेतन क्रेडिट पर निर्भर नहीं होते, इसलिए गिग इकॉनॉमी से जुड़े लोगों के लिए यह बढ़िया विकल्प साबित हो सकता है।
#3
बैंक से बातचीत और सतर्कता जरूरी
अगर बैंक वेतन न आने पर नोटिस भेजे तो उसे नजरअंदाज न करें। समय रहते अकाउंट अपग्रेड या जीरो बैलेंस में बदलवाने की प्रक्रिया शुरू करें। कुछ बैंक सेवानिवृत्त या नौकरी बदल रहे ग्राहकों को कुछ समय की छूट भी देते हैं। अपने बैंक से बातचीत करें और जरूरी सुविधाएं जैसे डेबिट कार्ड, चेक बुक और लॉकर सेवाओं की स्थिति भी स्पष्ट कर लें, ताकि वित्तीय नुकसान से बचा जा सके।