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इजरायल-ईरान संघर्ष से वैश्विक तेल कीमतों में किस प्रकार वृद्धि की आशंका है?
वैश्विक तेल कीमतों में वृद्धि की आशंका है (तस्वीर: पिक्साबे)

इजरायल-ईरान संघर्ष से वैश्विक तेल कीमतों में किस प्रकार वृद्धि की आशंका है?

Jun 23, 2025
10:22 pm

क्या है खबर?

अमेरिका ने पिछले हफ्ते ईरान की 3 परमाणु साइटों पर हवाई हमला किया, जिससे इजरायल-ईरान संघर्ष और गंभीर हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि ईरान या तो शांति बनाए या फिर विनाश का सामना करे। इस हमले के बाद पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है कि अब ईरान कैसे जवाब देगा। इससे पहले ही वैश्विक बाजारों में तनाव महसूस होने लगा है और तेल के दाम बढ़ने की आशंका है।

 आपूर्ति 

तेल की आपूर्ति पर मंडराया खतरा 

इस संघर्ष के बीच ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की बात कही है। यह रास्ता मध्य पूर्व से तेल ले जाने का सबसे अहम रास्ता है। दुनिया का लगभग एक चौथाई तेल यहीं से गुजरता है। अगर यह रास्ता बंद होता है, तो तेल की सप्लाई कम हो जाएगी और दाम तेजी से बढ़ सकते हैं। निवेशकों और देशों को डर है कि शिपिंग बाधित होगी और कीमतें उछलेंगी।

विश्लेषण 

जेपी मॉर्गन का विश्लेषण क्या कहता है?

जेपी मॉर्गन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। अभी तेल करीब 78 डॉलर के आसपास है, लेकिन संघर्ष बढ़ा तो यह काफी ऊपर जा सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि फिलहाल बाजारों में केवल 7 प्रतिशत ही सबसे बुरे हालात की आशंका दिख रही है, लेकिन यह संख्या कभी भी बढ़ सकती है अगर हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएं।

भारत

भारत की तैयारी और पुरी का बयान 

तेल मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत ने तेल आपूर्ति के कई स्रोत बना रखे हैं। लगभग 55 लाख बैरल तेल की खपत में से 40 लाख बैरल भारत अन्य रास्तों से मंगाता है। उन्होंने कहा कि कल जब बाजार खुलेंगे, तो अमेरिकी हमलों का असर तेल की कीमतों पर दिखेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक बाजारों में पर्याप्त तेल है और आपूर्तिकर्ता व्यापार जारी रखने में रुचि रखते हैं।

असर

संभावित शासन परिवर्तन और आगे का असर 

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान में शासन परिवर्तन होता है, तो यह लीबिया संकट से भी बड़ा असर दिखा सकता है। ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। अगर वहां से तेल आपूर्ति बंद हो गई, तो दुनिया को हर दिन 30 लाख बैरल कम मिल सकता है। इससे तेल की कीमतों में बड़ी उछाल आ सकती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ सकता है।