हिंदुजा समूह के अध्यक्ष गोपीचंद हिंदुजा का 85 वर्ष की आयु में निधन
क्या है खबर?
भारतीय और ब्रिटिश अरबपति और हिंदुजा समूह के अध्यक्ष गोपीचंद परमानंद हिंदुजा का मंगलवार को 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य टोरी पीयर रामी रेंजर ने इसकी जानकारी दी। उनका लंदन के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। भारतीय मूल के सांसद रेंजर ने हिंदुजा को 'सबसे दयालु, विनम्र और वफादार दोस्तों में से एक' बताते हुए कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है।
निधन
काफी समय से बीमार थे गोपीचंद
ब्रिटेन के सबसे धनी व्यवसायी और चार हिंदुजा भाइयों में दूसरे नंबर पर रहे गोपीचंद हिंदुजा लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्होंने लंदन के अस्पताल में अंतिम सांस ली। रेंजर ने बयान में कहा, "प्रिय मित्रों, भारी मन से, मैं हमारे प्रिय मित्र, जीपी हिंदुजा के दुखद निधन की सूचना साझा कर रहा हूं, जो अब दुनिया में नहीं रहे। वे अत्यंत दयालु, विनम्र और निष्ठावान मित्रों में से एक थे। उनका निधन एक युग का अंत है।"
दुख
समाज के शुभचिंतक और मार्गदर्शक
रेंजर ने आगे कहा, "हिंदुजा वास्तव में समाज के शुभचिंतक और मार्गदर्शक थे, मुझे उन्हें कई वर्षों से जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके गुण अद्वितीय थे, एक अद्भुत हास्य-बोध, समुदाय और देश, भारत के प्रति प्रतिबद्धता। उन्होंने हमेशा अच्छे कार्यों का समर्थन किया। उन्होंने अपने पीछे एक बहुत बड़ा शून्य छोड़ दिया है जिसे भरना मुश्किल होगा। ईश्वर उन्हें स्वर्ग में शांति प्रदान करे। ओम शांति।"
पहचान
कौन हैं गोपीचंद हिंदुजा?
सिंधी परिवार से जुड़े गोपीचंद का जन्म 29 जनवरी, 1940 को बंटवारे से पहले सिंध में हुआ था। उनकी पत्नी सुनीता और बच्चे संजय, धीरज, रीता हैं। वर्ष 2023 में भाई श्रीचंद हिंदुजा की मृत्यु के बाद समूह के अध्यक्ष बने थे। वे हिंदुजा ऑटोमोटिव लिमिटेड के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने 1959 में मुंबई के जय हिंद कॉलेज से स्नातक किया। उन्हें वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय से कानून और लंदन के रिचमंड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त है।
समूह
वर्ष 1914 में बना था हिंदुजा समूह
हिंदुजा समूह की स्थापना उनके पिता परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1914 में की थी। यह एक बहु-राष्ट्रीय समूह है जो बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, मीडिया और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में काम करता है। वर्ष 1997 में गोपीचंद को ब्रिटिश नागरिकता मिली थी। उनके नेतृत्व में समूह ने 1984 में गल्फ ऑयल और 3 साल बाद अशोक लीलैंड का अधिग्रहण किया था। अशोक लीलैंड भारत में प्रवासी भारतीय द्वारा पहला बड़ा निवेश था। समूह दुनिया में 2 लाख लोगों को रोजगार देता है।