ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में हलचल, निफ्टी में और गिरावट की आशंका
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई।
अमेरिका में डॉव जोन्स 1.48 प्रतिशत, S&P 500 1.76 प्रतिशत और नैस्डैक 2.64 प्रतिशत लुढ़क गया। यूरोप में लंदन का FTSE 100 इंडेक्स 1.3 प्रतिशत, फ्रांस का CAC 40 1.8 प्रतिशत और जर्मनी का DAX 2.1 प्रतिशत गिरा।
निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी है और वैश्विक मंदी की आशंका गहरा गई है।
चीन
चीन के खिलाफ भी बड़ा कदम
ट्रंप प्रशासन ने चीन पर भी टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया है। सभी चीनी आयातों पर टैरिफ 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया जाएगा।
ट्रंप ने कहा कि यह कदम अमेरिका में फेंटेनाइल के अवैध प्रवाह को रोकने में चीन की विफलता के कारण उठाया गया है।
इसके बाद चीन के बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। चीन ने ट्रंप के इस फैसले पर नाराजगी जताई और जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी है।
भारतीय बाजार
भारतीय बाजार पर असर
ट्रंप के फैसले का असर भारतीय बाजार पर भी दिखा। SGX निफ्टी में गिरावट देखी गई, जिससे शेयर बाजार में कमजोरी के संकेत मिले।
विश्लेषकों का कहना है कि निफ्टी और सेंसेक्स में 1 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है। भारतीय IT और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव रहेगा, क्योंकि अमेरिका और चीन के व्यापार युद्ध का असर भारतीय निर्यात पर भी पड़ सकता है।
निवेशक सतर्क हो गए हैं और विदेशी निवेशक (FII) निकासी बढ़ने की संभावना है।
सेक्टर
टेक और ऑटो सेक्टर को बड़ा झटका
टैरिफ बढ़ने से टेक और ऑटोमोबाइल कंपनियों को झटका लगा।
अमेरिका में ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला के शेयरों में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। चीन की अलीबाबा, टेनसेंट और हुआवेई पर भी असर पड़ा, जिससे इनके शेयर 3 प्रतिशत तक गिर गए।
ऑटो सेक्टर में जनरल मोटर्स 4 प्रतिशत और फोर्ड 1.7 प्रतिशत नीचे गया, जबकि यूरोप में BMW और मर्सिडीज के शेयरों में गिरावट आई। जापान की टोयोटा और चीन की जीली ऑटोमोबाइल को भी नुकसान हुआ।
खतरा
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा बढ़ा
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ़ नीति से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ेगी और कई देशों में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी कि इस व्यापार युद्ध के जारी रहने से 2025 तक वैश्विक GDP में 1 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है।
एशिया, यूरोप और अमेरिका में निवेशकों की चिंता बढ़ रही है, जिससे कंपनियां अपने व्यापार मॉडल पर पुनर्विचार कर रही हैं।