उड़ान संकट के बीच सरकार इंडिगो के बोर्ड के पुनर्गठन की कर सकती है मांग
क्या है खबर?
इंडिगो की लगातार रद्द हो रही उड़ानों के कारण सरकार पर भी इस मामले को सुलझाने का दबाव बढ़ता जा रहा है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एवियशन लिमिटेड के बोर्ड के पुनर्गठन की मांग कर सकती है। लगातार हो रही उड़ान रद्द होने की घटनाओं से यात्रियों में नाराजगी बढ़ी है और सोशल मीडिया पर कंपनी की आलोचना हो रही है।
समस्या
हजारों उड़ानें रद्द होने से यात्री परेशान
इंडिगो को अब तक 4,500 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, जिससे देश के कई हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए। अचानक रद्दीकरण और देरी से यात्रा योजनाएं बिगड़ गईं। इसी वजह से सरकार बोर्ड में ऐसे लोगों को लाने पर विचार कर रही है, जिनके पास विमानन संचालन का गहरा अनुभव हो। इससे नेटवर्क, क्रू प्रबंधन और सुरक्षा से जुड़े जोखिमों पर सीधे नजर रखी जा सकेगी और भविष्य की तैयारी हो सकेगी।
बोर्ड
बोर्ड में कई बड़े नाम
फिलहाल इंडिगो बोर्ड के अध्यक्ष विक्रम सिंह मेहता हैं और बोर्ड में कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनमें पूर्व वायु सेना प्रमुख, नीति आयोग के पूर्व प्रमुख और बाजार नियामक से जुड़े अधिकारी हैं। इसके साथ ही कुछ विदेशी विमानन विशेषज्ञ भी बोर्ड में हैं, लेकिन सह-संस्थापक राकेश गंगवाल के बाहर निकलने के बाद कंपनी में तकनीकी नेतृत्व की कमी को अब एक बड़ी कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है।
रुख
DGCA नोटिस और सख्त रुख
यह पूरा संकट नए पायलट ड्यूटी और आराम नियमों के लागू होने के बाद सामने आया, जब एयरलाइन को अचानक अपने रोस्टर बदलने पड़े, जिससे कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। यात्रियों की शिकायतों के बाद DGCA ने इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अब सरकार सिर्फ माफी से संतुष्ट नहीं है, बल्कि वह कंपनी की तैयारी, प्रबंधन और जवाबदेही पर भी सख्त सवाल उठा रही है। आने वाले दिनों में फैसले संभव हैं।