#NewsBytesExplainer: ऑटोमैटिक गियरबॉक्स क्या और कितने प्रकार के होते हैं? जानिए इनके फायदे-नुकसान
क्या है खबर?
कार कंपनियां ग्राहकों को बेहतर राइडिंग अनुभव देने के लिए अपनी गाड़ियों को ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के विकल्प में उतार रही हैं।
ऑटोमैटिक गियरबॉक्स वाली गाड़ियों में गियर नहीं लगाना पड़ता और इस वजह से इन्हे चलना भी आसान हो जाता है।
गौरतलब है कि ऑटोमैटिक गियरबॉक्स कई प्रकार के होते हैं और इनमें से किसी एक विकल्प को चुनने में ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं।
आज कार गाइड में हम आपके लिए ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के प्रकार की जानकारी लाए हैं।
गियरबॉक्स
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन क्या है?
ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों में क्लच नहीं दिया जाता है। ये कारें सिर्फ एक्सेलरेटर और ब्रेक के साथ आती हैं। आपको बस मोड सेलेक्ट करके गाड़ी को एक्सेलरेटर करना है। इसके बाद कार खुद ही सेलेक्ट कर लेती है कि उसे किस स्पीड में चलना है।
ऑटोमेटिक कारों में काफी आसान गियरबॉक्स दिया जाता है जिसमें 4 मोड - पार्क, रिवर्स, न्यूट्रल और ड्राइव मिलते हैं। इनकी मदद से आप इस कार को चला सकते हैं।
काम
कैसे काम करता है ऑटोमैटिक गियरबॉक्स?
आपके भी मन में यह सवाल जरूरी आता होगा कि अगर ऑटोमैटिक गाड़ियों में क्लच नहीं होती तो फिर ये काम कैसे करती हैं? दरअसल, ऑटोमैटिक गियरबॉक्स स्पीड सेंसर पर आधारित होता है।
यह इंजन के पावर आउपुट को कार की स्पीड के हिसाब से शिफ्ट करता है। अगर आप ऑटोमैटिक कार चलाएंगे तो आपको गियर शिफ्ट होने पर स्पीड बढ़ने का एहसास होगा और गियर बदलने पर गाड़ी की स्पीड भी कम हो जाती है।
#1
टॉर्क कन्वर्टर
टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स वैश्विक बाजार में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ऑटोमैटिक गियरबॉक्स है। यह थोड़ा महंगा होता हैं, लेकिन इसकी परफॉर्मेंस सबसे अच्छी होती है।
इसकी वजह से तेल की खपत कम होती है। टॉर्क कन्वर्टर से जुड़ा एक पंप गियरबॉक्स के चारों ओर ट्रांसमिशन फ्लुइड भेजता है और पंखे को घुमाता है। इससे गियर बदलने में मदद मिलती है।
इस गियरबॉक्स में टॉर्क भी अधिक जनरेट होता है, जिस वजह से कार बेहतर परफॉर्मेंस देती है।
#2
ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT)
भारत में मौजूद गाड़ियों में ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रांसमिशन (AMT) गियरबॉक्स का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है।
मैनुअल ट्रांसमिशन तकनीक के समान AMT में सेंसर और एक्चुएटर्स होते हैं, जो क्लच और गियर बदलने का काम करते हैं।
गियरशिफ्ट को पूरा करने के लिए AMT गियरबॉक्स कार के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) से जुड़े हाइड्रोलिक्स का उपयोग करता है।
मारुति सुजुकी और रेनो जैसी कंपनियां अपने वाहनों में AMT गियरबॉक्स का इस्तेमाल 2010 से कर रही हैं।
#3
कन्टिन्यूस्ली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT)
कन्टिन्यूस्ली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT) एक सिंगल स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स है। यह आकार में कॉम्पैक्ट है और इसे बनाना बेहद सरल है।
इस गियरबॉक्स में 2 पुली का इस्तेमाल किया गया है, जो V-आकार के ड्राइव बेल्ट के माध्यम से जुड़ी हैं। ये स्मूथ होती है और जल्दी खराब नहीं होते।
सबसे पहले इस गियरबॉक्स का उपयोग टोयोटा और निसान जैसी जापानी कंपनियों ने अपनी स्पोर्ट्स कारों में किया था।
#4
ड्यूल क्लच ट्रांसमिशन (DCT)
डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT) 2 क्लच पैक के साथ काम करता है। इसमें उपलब्ध एक क्लच सम संख्या वाले गियर को और दूसरा विषम संख्या वाले गियर को नियंत्रित करता है।
उदाहरण के तौर पर जब पहला गियर लगा होता है तो सम क्लच उपयोग में होता है और दूसरे गियर के दौरान विषम क्लच काम करता है।
यह प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि ड्राइवर को भी पता नहीं चल पाता कि गियर कब बदल रहे हैं।
#5
इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT)
इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (iMT) गियरबॉक्स की पेशकश सबसे पहले हुंडई ने अपनी कुछ चुनिंदा कार के पेट्रोल वेरिएंट में की थी।
इसमें क्लच ऑटोमैटिक रूप से संचालित होता है और ड्राइवर को अपशिफ्ट या डाउनशिफ्ट की स्थिति में गियर लीवर को मैन्युअल रूप से संचालित करना होता है।
आपको बता दें कि भारतीय बाजार में iMT गियरबॉक्स का इस्तेमाल टर्बो-पेट्रोल वेरिएंट वाले हुंडई i20, वेन्यू और किआ सोनेट में किया जाता है।
फायदे
ऑटोमैटिक गाड़ियों के क्या हैं फायदे?
सुविधा के मामले में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली गाड़ियां चलाने में काफी आसानी होती हैं। पहली बार कार चलाने वालों के लिए ये गाड़ियां काफी बेहतर होती हैं।
इन कारों में सिर्फ दो पेडल्स होते हैं जिसके चलते कार चलाने के लिए अधिक चीजों पर ध्यान नहीं देना होता है।
पको बता दें कि ऑटोमैटिक कारों में अगर कोई मशीनी गड़बड़ी नहीं है तो वे बीच रास्ते बंद नहीं होती हैं।
नुकसान
ऑटोमैटिक गाड़ियों के नुकसान क्या हैं?
ऑटोमैटिक कार चलाने की आदत हो जाने के बाद मैनुअल कार चलाने में असुविधा हो सकती है। इनमें ब्रेक्स का इस्तेमाल अधिक होता है, जिसके चलते इन्हें मेंटनेंस की जरूरत अधिक पड़ती है।
कैटगरी और सर्विस इंटरवल के मुताबिक ऑटोमैटिक कारों में भी ट्रांसमिशन प्लेट्स की जरूरत पड़ती है। अगर कार की बैटरी डाउन हो गई तो इसे धक्का देकर स्टार्ट नहीं कर सकते।
साथ ही ये कारें मैन्युअल कारों से महंगी होती हैं।
भविष्य
ऑटोमैटिक कारों का क्या है भविष्य?
वर्तमान में ऑटोमैटिक गाड़ियों की जबरदस्त मांग को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले कई वर्षों तक बाजार में ऑटोमैटिक कारों का दबदबा कायम रहेगा।
दरअसल, पिछले कुछ दशकों में मैनुअल कारों की मांग लगातार कम हो रही है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी केवल ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के साथ आती हैं और अगर आने वाले वर्षों में सभी कंपनियां अपनी तेल से चलने वाली गाड़ियां बंद करती हैं तो मैनुअल गियरबॉक्स वाली गाड़ियां भी आनी बंद हो सकती हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
वर्तमान में कई ऑटोमैटिक गाड़ियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
टॉर्क कन्वर्टर गियरबॉक्स- मारुति सुजुकी सियाज, ब्रेजा और अर्टिगा में यह ऑटोमैटिक गियरबॉक्स मिलता है।
AMT गियरबॉक्स- टाटा नेक्सन और मारुति बलेनो में यह गियरबॉक्स शामिल है।
CVT गियरबॉक्स- होंडा अमेज, टोयोटा ग्लैंजा और निसान मैग्नाइट में मिलता है।
iMT गियरबॉक्स- हुंडई i20 और हुंडई औरा में उपलब्ध है।
DCT गियरबॉक्स- टाटा अल्ट्रोज, हुंडई वेन्यू, किआ सॉनेट, MG हेक्टर और किआ कैरेंस जैसी गाड़ियों में यह गियरबॉक्स मिलता है।