अमेरिका में गाड़ियों में लगेगी ड्रंक ड्राइवर डिटेक्शन तकनीक, नशे में नहीं चला पाएंगे गाड़ी
कई बार लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, जिसकी वजह से सड़क हादसे होते हैं। ऐसे हादसों के कारण हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। अब अमेरिका में सड़क हादसों को रोकने के लिए गाड़ियों में नई ड्रंक ड्राइवर डिटेक्शन तकनीक लगाने पर जोर दिया जा रहा है, जो यह जांच करेगी कि ड्राइवर नशे में है या नहीं। आइये जानते हैं कि इस बारे में क्या जानकारी मिली है।
NHTSA ने दी यह जानकारी
वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन (NHTSA) के अधिकारियों ने कहा कि इस तकनीक की मदद से शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाली हजारों सड़क हादसों को रोकने में मदद मिल सकती है। NHTSA द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि साल 2021 में अमेरिका में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के कारण में लगभग 13,400 लोग मारे गए थे।
नवंबर, 2024 तक शामिल हो सकती है नई तकनीक
एजेंसी अभी रिसर्च कर रही है कि ड्राइवरों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का सटीक रूप से पता कैसे लगाया जाए। इसके बाद नई तकनीक को अपनाने के लिए कार निर्माताओं को 3 साल का समय दिया जाएगा। 2021 में कांग्रेस ने NHTSA को सालाना 10,000 से अधिक सड़क मौतों को रोकने के लिए नई तकनीक अनिवार्य करने का निर्देश दिया था। यदि नई तकनीक तैयार है तो इसे नवंबर, 2024 तक नए सेफ्टी स्टैंडर्ड में शामिल किया जाएगा।
इन तकनीक का किया जा सकता है इस्तेमाल
वर्तमान में ऐसी कई तकनीके हैं, जो नशे में लोगों को वाहन स्टार्ट करने से रोकती हैं। इसमें शराब का पता लगाने के लिए सांस या टच-आधारित सेंसर और आंखों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरों का उपयोग किया जाता है।
इन तकनीक का भी होता है इस्तेमाल
नशे में ड्राइविंग को कम करने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है। 1- इग्निशन इंटरलॉक डिवाइस (IID): गाड़ियों में IID लगने के बाद ड्राइवरों को कार स्टार्ट करने से पहले ब्रेथलाइज़र का उपयोग करना पड़ता है। अगर वो नशे में हुए तो गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी। IID का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये काफी सरल होते हैं और उन्हें लागू करने के लिए किसी पुलिस अधिकारी की आवश्यकता नहीं होती है।
DADSS तकनीक भी निभाती है अहम भूमिका
2- ड्राइवर अल्कोहल डिटेक्शन सिस्टम फॉर सेफ्टी (DADSS): नशे में ड्राइविंग दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक और नई तकनीक है। DADSS इग्निशन इंटरलॉक सिस्टम की तरह ही काम करता है, इसका उद्देश्य नशे में धुत ड्राइवरों को अपनी कार स्टार्ट करने से रोकना है। यह तकनीक ब्रेथलाइज़र और टच-सेंसर की मदद से यह पता लगा लेता है कि ड्राइवर नशे में है या नहीं। अगर ड्राइवर नशे में नहीं हुआ तभी गाड़ी स्टार्ट होगी।
राइडशेयरिंग और स्मार्टफ़ोन ऐप्स भी करते हैं मदद
3- राइडशेयरिंग और स्मार्टफ़ोन ऐप्स: राइडशेयरिंग ऐप्स नए नहीं हैं, लेकिन ये भी नशे में गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सड़क हादसों में भारत में सबसे अधिक मौतें होती है। भारत में दुनिया के महज एक प्रतिशत वाहन है, लेकिन दुर्घटनाओं में वैश्विक मौतों का 11 प्रतिशत हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हर साल 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1.5 लाख लोगों की जान जाती है। बता दें, देश में हर दिन 20 से 30 लोगों की मौत शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती है।