अपनी नई गाड़ी के लिए पुरानी गाड़ी का ही नंबर कैसे रखें?
क्या है खबर?
आमतौर पर हर गाड़ी को खरीदने पर एक नया रजिस्ट्रेशन नंबर जारी किया जाता है।
पुरानी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर उसके साथ ही खत्म हो जाता है, लेकिन बहुत बार हम चाहते हैं कि हमारी नई गाड़ी तो आए पर उसका रजिस्ट्रेशन नंबर पुरानी गाड़ी वाला ही हो।
इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे आसान स्टेप्स बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप अपनी पुरानी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर नई गाड़ी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कारण
पुराना रजिस्ट्रेशन नंबर रखने की क्यों है जरूरत?
बहुत बार गाड़ियों के साथ मिलने वाला रजिस्ट्रेशन नंबर बहुत ही खास पैटर्न में लिखा होता है, जैसे कि अंत में 007, 1000 या 0001।
इस तरह के नंबर आपकी गाड़ी को एक अलग पहचान दिलाते हैं। इसलिए वाहन मालिक इसे बदलना पसंद नहीं करते हैं।
वहीं, कई बार लोगों अपनी गाड़ी के नंबर को बहुत लकी मानते है। ऐसे स्थिति में वें चाहते हैं कि यह नंबर हमेशा उनके साथ रहें।
प्रक्रिया
पुराने रजिस्ट्रेशन नंबर को नई गाड़ी में कैसे बदलें?
पुराने रजिस्ट्रेशन नंबर को नई गाड़ी में इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको परिवहन विभाग जाकर रजिस्ट्रेशन नंबर ट्रांसफर फॉर्म को भरना होगा, जिसमें आपको पर्सनल जानकारी के साथ पुराना रजिस्ट्रेशन नंबर डालना होगा।
इसके बाद ऑनलाइन पैसे जमा करने पर एक स्लिप जनरेट होगा, जिसमें गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा होगा।
इस स्लिप को कार डीलर के पास ले जाकर जमा करना होता है, जिसके बाद आपकी नई गाड़ी में पहले वाला रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाता।
सावधानी
नंबर ट्रांसफर करने से पहले रखना होगा इन बातों का ध्यान
ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर कैंसिल हो चुका है तो इसे नई गाड़ी में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा ट्रांसफर करने के लिए पुराने नंबर को कम से कम तीन साल तक उसी वाहन मालिक के नाम पर रजिस्टर्ड होना होगा।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वाहन मालिक वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर को कई बार नई गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर के रूप में ट्रांसफर करवा सकते हैं।
जानकारी
कितने तरह के होते हैं रजिस्ट्रेशन नंबर?
परिवहन विभाग ने रजिस्ट्रेशन नंबर को मुख रूप से चार भागों में बांटा है। इनमें फैन्सी नंबर, सेमी-फैन्सी नंबर, सिंगल डिजिट नंबर और VIP नंबर होते है।
इन्हे लेने के हर राज्यों में अलग-अलग नियम होते हैं। कुछ राज्यों में ई-नीलामी के माध्यम से आप फैन्सी नंबर प्राप्त कर सकते हैं।
वहीं, अन्य राज्यों में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में इनकी नीलामी की जाती है। इसमें आवेदक को रजिस्ट्रेशन शुल्क के साथ-साथ फैन्सी नंबर के लिए भी भुगतान करना होगा।