लगातार बढ़ रहा है मारुति मॉडल्स का वेटिंग पीरियड, 3.25 लाख गाड़ियों की डिलीवरी बाकी
सेमीकंडक्टर की कमी के कारण देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) की 3.25 लाख गाड़ियों की डिलीवरी रुकी हुई है और इस वजह से कंपनी के मॉडलों का वेटिंग पीरियड (Maruti car waiting period) भी बढ़ रहा है। यह जानकारी कंपनी ने दी है। कंपनी के अनुसार, पार्ट्स की कमी के कारण उसे अपना उत्पादन धीमा करना पड़ा है और गाड़ियों की जबरदस्त मांग के कारण कंपनी अपना आर्डर पूरा नहीं कर पा रही है।
CNG गाड़ियों पर है सबसे ज्यादा वेटिंग पीरियड
गौरतलब है कि आर्डर पूरा नहीं कर पाने के कारण कंपनी को मजबूरन अपनी गाड़ियों के वेटिंग पीरियड बढ़ाने पड़ रहे हैं। वर्तमान में सुजुकी की पेट्रोल कारों पर 9 से 12 हफ्तों की वेटिंग चल रहा है। वहीं, CNG कार के मॉडलों के आधार पर यह वेटिंग पीरियड बढ़कर 18 हफ्तों तक पहुंच गया है। कंपनी की कुल 1.39 लाख CNG गाड़ियों की डिलीवरी रुकी है। मारुति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी है।
ग्राहकों को करना पड़ेगा अधिक भुगतान
डिलीवरी में देरी का मतलब है कि खरीदार को अपने वाहन के लिए अधिक भुगतान करना होगा क्योंकि ग्राहकों को डिलीवरी के समय लागू कीमतों का भुगतान करना होगा। बता दें कि बढ़ती इनपुट लागत के चलते लगभग सभी कंपनियां अपने वाहनों के दाम बढ़ा रही हैं और साल की शुरुआत से औसतन लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। टाटा मोटर्स, मारुति और महिंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियां दो बार अपने वाहनों के दाम बढ़ा चुकी हैं।
सात लाख ग्राहक देख रहे अपनी गाड़ियों की राह
फरवरी में आए आर्थिक सर्वे से जानकारी मिली थी कि भारत में लगभग सात लाख से ज्यादा कार खरीदार अपनी कार के घर आने का इंतजार कर रहे हैं। विश्वभर में आई चिप की कमी के कारण कंपनियां ग्राहकों को उनकी कार डिलीवर नहीं कर पा रही हैं। लॉकडाउन खुलते ही गाड़ियों की मांग में अचानक उछाल आया लेकिन चिप की कमी के कारण इनकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है।
कब तक बनी रहेगी यह समस्या
सेमीकंडक्टर की वैश्विक कमी कार निर्माताओं के लिए बड़ी समस्या है। कंपनियों का कहना है कि स्थिति को सामान्य होने में समय लगेगा। रिपोर्ट्स की माने तो यह समस्या इस साल की पहली छमाही तक बनी रहेगी। बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए वेटिंग पीरियड सबसे अधिक है क्योंकि इनमें कई चिप लगे होते हैं। इस समस्या से निकलने के लिए फोर्ड और जनरल मोटर्स जैसी कंपनियां सेमीकंडक्टर्स प्लांट लगाने की योजना बना रही हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
भारतीय बाजार में सेमीकंडक्टर की बढ़ती मांग और विश्वभर में सप्लाई में आ रही दिक्क्तों के बीच टाटा ग्रुप एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए टाटा ग्रुप 2,250 करोड़ रुपये निवेश कर सकता है। आउटर्सोस्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (OSAT) प्लांट लगाने के लिए ग्रुप तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना से बात कर रहा है। इन राज्यों में प्लांट के लिए जमीन लेने की बात चल रही है।