देश में तेजी से बढ़ रही ऑटोमैटिक कारों की मांग, जानिए क्या है कारण
क्या है खबर?
देश में पिछले कुछ सालों में ऑटोमैटिक कारों की मांग तेजी से बढ़ रहा है। बार-बार गियर बदलने के झंझट से मुक्ति के लिए खरीदार इनके महंगे दाम चुकाने को भी तैयार हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में गाड़ियों की कुल बिक्री में ऑटोमैटिक की हिस्सेदारी 16 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 26 फीसदी हो गई।
यातायात दबाव वाले शहरों में ऐसी कारों की मांग काफी बढ़ रही है, जो रुक-रुक कर ड्राइविंग की परेशानी को थोड़ा कम करती हैं।
रिपोर्ट
रिपोर्ट में किया यह दावा
जैटो डायनेमिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, 20 बड़े शहरों में बेची जा रही हर 3 गाड़ियों में से एक ऑटोमैटिक होती है। इन्हें प्रीमियम सेगमेंट में रखा जाता है।
इनकी कीमत भी मैनुअल गियरबॉक्स के साथ आने वाली गाड़ियों की तुलना में 60,000 से 2 लाख रुपए तक ज्यादा होती है।
बढ़ी हुई मांग की वजह से ही मारुति सुजुकी, टोयोटा, महिंद्रा, टाटा, हुंडई और निसान जैसी कंपनियों ने अपनी गाड़ी के 83 मॉडल ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में लॉन्च किए हैं।
फायदा
यह होता है ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का फायदा
इन गाड़ी की सबसे बड़ी खासियत यही होती है कि इनमें गियर बदलने की जरूरत नहीं होती। इन्हे केवल ब्रेक और फिर एक्सीलेटर के उपयोग से चला सकते हैं।
ऑटोमैटिक कार से ट्रैफिक जाम के दौरान ड्राइविंग में समस्या कम आती है और बार-बार गियर नहीं बदलने से ये गाड़ियां माइलेज भी ज्यादा देती हैं।
होंडा जैसी कुछ कंपनियां CVT ट्रांसमिशन भी पेश करती हैं। ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में क्लच होता है, जबकि CVT में सेंसर क्लच का काम करते हैं।