
रात में गाड़ी चलाना सुरक्षित बनाता है हाई बीम असिस्ट, जानिए कैसे करता है काम
क्या है खबर?
रात में गाड़ी चलाते समय सड़कों पर अधिकतम दृश्यता की आवश्यकता होती है, जिसके लिए अक्सर हाई बीम का उपयोग करना पड़ता है। सामने से दूसरा वाहन आने पर इसे मैनुअल रूप से लो बीम में बदलना पड़ता है। यह काम थका देने वाला होता है और चूक होने पर दुर्घटना की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए लेटेस्ट कारों में हाई बीम असिस्ट की सुविधा दी जाती है। आइये जानते हैं यह फीचर कैसे काम करता है।
हाई बीम असिस्ट
क्या होता है हाई बीम असिस्ट?
रात के समय हाई बीम का गलत तरीके से उपयोग करने पर सामने से आने वाले चालक की आंखों में चकाचौंध पैदा कर सकता है। इससे उसे कुछ देर के लिए सामने दिखाई नहीं देगा, जिससे उसका वाहन आपकी गाड़ी से टकरा सकता है। यहीं पर हाई बीम असिस्ट काम आता है, जो एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) सुविधा है। यह हाई बीम हेडलाइट्स को ऑटोमैटिक रूप से नियंत्रित करता है। इससे चकाचौंध किए बिना अधिकतम रोशनी मिलती है।
तरीका
कैसे काम करता है यह फीचर?
इस सिस्टम का मुख्य भाग विंडशील्ड पर लगा कैमरा या सेंसर होता है, जो अंदरूनी रियरव्यू मिरर (IRVM) के बगल में होता है। सेंसर सड़क पर दूसरे वाहनों की हेडलाइट्स, टेललाइट्स और स्ट्रीट लाइट की निगरानी करता है। जब सड़क पर अंधेरा होता है तो सिस्टम हाई बीम चालू कर देता है, लेकिन जैसे ही सामने लाइट दिखाई देती है तो लाइट्स को लो बीम पर कर देता है। यह एक निश्चित गति (20-30 किमी/घंटा) से ऊपर काम करता है।
फायदे
ये हैं इस फीचर के फायदे
फायदे की बात करें तो यह रात में बेहतर दृश्यता प्रदान कर सुरक्षित ड्राइविंग सुनिश्चित करता है। इसके होने से हाई बीम या लो बीम को बदलने का काम ऑटोमैटिक होता है, जिससे चालक ड्राइविंग पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाता है और उसे थकान भी कम होती है। यह सामने वाले वाहन चालक की आंखों में चकाचौंध पैदा होने से बचाता है, जिससे टकराव का जोखिम कम होता है। यह बिना मानवीय हस्तक्षेप के सर्वोत्तम प्रकाश व्यवस्था करता है।