#NewsBytesExplainer: FM से पिलर-टू-पिलर डिस्प्ले तक, समय के साथ ऐसे विकसित होती गई इन-डिस्प्ले तकनीक
ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर को गाड़ी की स्पीड और ईंधन आदि की जानकारी होनी चाहिए। आजकल गाड़ियों में लगी स्क्रीन्स पर ये जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं। दूसरी तरफ मनोरंजन के लिए गाड़ियों में बड़ी-बड़ी इंफोटेनमेंट स्क्रीन भी मिलने लगी है। हालांकि, कुछ सालों पहले गाड़ियों में केवल FM रेडियो ही मिलता था। आइये कार गाइड में जानते हैं कि समय के साथ-साथ इन-डिस्प्ले स्क्रीन तकनीक का विकास कैसे हुआ है।
समय के साथ हुआ है इन-कार इंफोटेनमेंट सॉफ्टवेयर का विकास
पिछले 2 दशकों में ऑटोमोबाइल सेक्टर का तेजी से विकास हुआ है। जैसे-जैसे गाड़ियां सॉफ्टवेयर संचालित होती गईं, वैसे-वैसे ड्राइवरों और यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए इंफोटेनमेंट सिस्टम और इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर अपग्रेड हुए हैं। पुरानी गाड़ियों में एनालॉग इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर का इस्तेमाल होता था, वहीं अब आधुनिक गाड़ियों में पिलर-टू-पिलर डिजिटल डिस्प्ले की सुविधा मिलने लगी है। यानी आगे पूरे डैशबोर्ड की लंबाई की में विभिन्न आधुनिक तकनीकों वाली डिजिटल डिस्प्ले लगी होती है।
इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर के प्रकार
इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर 3 प्रकार के होते हैं। एनालॉग इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर: एनालॉग क्लस्टर को सबसे पहले साल 1910 में वाहनों में जोड़ा गया था। इनमें डायल (सुई) लगे होते हैं, जो ड्राइवर को ईंधन, रफ्तार और इंजन RPM की जानकारी प्रदान करते हैं। डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर: डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर एडवांस होते हैं और एनालॉग गेज की तुलना में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं। डिजिटल क्लस्टर टायर के दबाव और ABS की भी जानकारी देते हैं, जो एनालॉग मीटर में नहीं मिलते।
कई गाड़ियों में मिलता है सेमी-डिजिटल इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर
एनालॉग गेज और डिजिटल डिस्प्ले का भी अपना अलग-अलग आकर्षण है। इस वजह से कई गाड़ियों में सेमी-डिजिटल क्लस्टर भी मिलता है। ये दोनों तकनीकों के मिश्रण का उपयोग करके काम करता है।
इन-डिस्प्ले तकनीक में भी हुए हैं बदलाव
FM रेडियो: कारों में पहली बार FM रेडियो यूनिट 1952 में पेश की गई थी, लेकिन इसे लोकप्रियता हासिल करने में थोड़ा समय लगा। कार स्टीरियो 8 ट्रैक कैसेट टेप प्लेयर: FM रेडियो के बाद गाड़ियों में कार स्टीरियो कैसेट टेप प्लेयर की पेशकश की गई। इसमें मनोरंजन के लिए कैसेट टेप प्लेयर जोड़े गए, जिससे 8 ट्रैक कैसेट के माध्यम से अपने पसंद गाने सुने जा सकते थे। 8 ट्रैक कैसेट में केवल 8 गाने होते थे।
कॉम्पैक्ट कैसेट और कॉम्पैक्ट डिस्क
कॉम्पैक्ट कैसेट: समय के साथ-साथ गाड़ियों में मनोरंजन के लिए कॉम्पैक्ट कैसेट की पेशकश की जाने लगी। इसकी शुरुआत 1970 में हुई थी। कॉम्पैक्ट कैसेट आकार में 8 ट्रैक कैसेट से छोटे होते थे और इनमें 15 से 20 गाने होते थे। कॉम्पैक्ट डिस्क: कॉम्पैक्ट कैसेट के बाद गाड़ियों में कॉम्पैक्ट डिस्क (CD) जोड़ी गई। यह कैसेट का अपडेटेड वर्जन था और इसमें 100 से अधिक गाने सुने जा सकते थे।
GPS के साथ टच-स्क्रीन सिस्टम
2000 के दशक की शुरुआत में गाड़ियों इन-कार इंफोटेनमेंट सिस्टम मिले, जो आज के आधुनिक वाहनों से मिलते-जुलते थे। ऐसे सिस्टम में टचस्क्रीन और GPS की सुविधाएं थी। धीरे-धीरे इन स्क्रीन में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी भी पेश की जाने लगी।
पिलर-टू-पिलर डिस्प्ले पर भी काम कर रही कंपनियां
वर्तमान में BMW, ऑडी और मर्सिडीज जैसी कई कंपनियां पिलर-टू-पिलर डिस्प्ले पर काम कर रहीं हैं। इसमें एक A-पिलर से दूसरे A-पिलर तक की स्क्रीन की सुविधा मिलेगी, जिसमें मनोरंजन की सुविधा होगी। इसमें इंफोटेनमेंट और ड्राइवर डिस्प्ले के लिए एक ही स्क्रीन होगी। 2021 में लॉन्च हुई महिंद्रा XUV700 में भी कुछ ऐसी ही स्क्रीन दी गई है। हालांकि, यह पिलर-टू-पिलर नहीं है। कई आगामी गाड़ियों में पिलर-टू-पिलर डिस्प्ले देखने को मिल सकती हैं।
आधुनिक स्क्रीन से होता है बेहतर मनोरंजन
पुरानी गाड़ियों में कोई डिजिटल स्क्रीन नहीं होती थी। मनोरंजन के लिए इनमें FM रेडियो की सुविधा होती थी। दूसरी तरफ वर्तमान में इंफोटेनमेंट स्क्रीन कार के इंटीरियर की एक आकर्षक फीचर बन चुकी है। इनमें नेविगेशन, मनोरंजन के लिए ऑडियो और वीडियो प्लेबैक जैसे नए फीचर्स मिलते हैं। कई गाड़ियों में 7-इंच से लेकर 31-इंच से बड़े टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट स्क्रीन की पेशकश की जा रही है, जिससे गाड़ी में यात्रा के दौरान यात्री सफर का आनंद ले सकते हैं।
गाड़ियों में अब मिलने लगी है बेहतर सुरक्षा
कार कंपनियां अब गाड़ियों में नई और आधुनिक तकनीक वाली स्क्रीन जोड़ रही हैं, जो गाड़ी को बेहतर सुरक्षा भी प्रदान कर रही हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि स्क्रीन के विकास से गाड़ियां सुरक्षित हो रही हैं। एडवांस ड्राइविंग असिस्टेंस तकनीक (ADAS) जैसे आधुनिक फीचर्स के लिए भी वर्तमान में आ रही डिजिटल स्क्रीन काफी अहम भूमिका निभा रही हैं। वॉयस कंट्रोल फीचर के लिए भी स्क्रीन काफी महत्वपूर्ण है।
AI के साथ स्क्रीन में अभी और विकास है संभव
इन-कार डिस्प्ले तकनीक के विकास ने ड्राइविंग अनुभव को बदल दिया है। अब गाड़ियां पहले से सुरक्षित आने लगी हैं। गाड़ियों में अब कर्व डिस्प्ले, 3D विजुअल सहित कई नई तकनीकों की पेशकश की जा सकती है, जो गाड़ियों के स्क्रीन के विकास में अगला कदम होगा। आने वाली कुछ सालों में गाड़ियों की स्क्रीन में आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सुविधा शामिल की जाएगी, जिससे ड्राइविंग अनुभव और भी बेहतर होने की उम्मीद है।