2031 तक दुनियाभर में कुल गाड़ियों की बिक्री में एक तिहाई होंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां- रिपोर्ट
क्या है खबर?
एक प्रमुख डाटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डाटा (GlobalData) का कहना है कि 2031 तक दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बिक्री कुल गाड़ियों की संख्या में 33 प्रतिशत से अधिक होगी।
EV नीतियों और ऑटो कंपनियों के प्रयास से चीन और यूरोप में अगले 15 वर्षों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री 10 गुना बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।
बता दें, बीते कुछ वर्षो में इन देशों में रिकॉर्ड संख्या में इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदी गई हैं।
इलेक्ट्रिक कार
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में होगी बढ़ोतरी
रिपोर्ट की मानें तो 2030 तक कुल 18 देशों ने पेट्रोल और डीजल से चलने वाले निजी वाहनों की बिक्री को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा है।
इसके अलावा चीन 2025 कुल वाहनों की बिक्री में 25 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेचने की योजना बना रहा है।
वहीं, 2030 तक भारत और अमेरिका का लक्ष्य कुल गाड़ियों की बिक्री में क्रमशः 30 प्रतिशत और 50 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का है।
निर्माण
तेल बनाने वाली कंपनियां कर रहीं इलेक्ट्रिक पार्ट्स के निर्माण
रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के कारण कई तेल और गैस कंपनियां अपने व्यवसाय को ऊर्जा के क्षेत्र में भी बढ़ा रही हैं।
शेल, टोटल एनर्जी और मित्सुई सहित कई कंपनियां साझेदारी के माध्यम से फास्ट EV चार्जिंग, बैटरी निर्माण और अन्य EV से जुड़ी पार्ट्स बनाने पर काम कर रही हैं।
वहीं, एक्सॉनमोबिल जैसी तेल कंपनी भी विशेष रूप से EVs के लिए बैटरी फ्लूइड, कूलेंट और लुब्रिकेंट्स विकसित कर रही है।
जानकारी
अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर काम कर रहीं ये कंपनियां
कई ऑटो निर्माताओं ने भी EVs की बिक्री के लिए भी अपने लक्ष्य रखे हैं और अपनी लाइनअप में नए उत्पादों को शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
वाहन निर्माता डेमलर और वोल्वो का लक्ष्य है कि 2025 तक 50 प्रतिशत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री करें। वहीं, रेनो 2030 तक 100 प्रतिशत EV बेचने की तैयारी कर रही है।
फॉक्सवैगन ग्रुप ने भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण के लिए 35 बिलियन डॉलर (3.1 अरब रुपये) निवेश करने वाली है।
कार सेल
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
जानकारी के लिए आपको बता दें कि नीदरलैंड में 2025 के बाद पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर रोक लगाने का विचार चल रहा है। इनकी जगह यहां इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कारें उतारी जाएंगी।
जर्मनी अपने यहां प्रदूषण कम करने के लिए निजी कारों के लिए सख्त नियम बनाये हैं। यहां निजी कारों की पार्किंग काफी महंगी कर दी गई है ताकि लोग निजी कारें ना रखें।