देश में अनिवार्य हो सकती है फ्लैक्स-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियां, गडकरी ने दिए संकेत
केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम की वजह से ऑटो सेक्टर में फ्लैक्स-फ्यूल इंजन को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अगले आठ से 10 दिनों में इसका निर्णय ले लिया जाएगा और ऐसे इंजन को ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को मदद के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
सस्ता पड़ेगा फ्लैक्स फ्यूल
गडकरी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इथेनॉल ईंधन की कीमत करीब 60-62 रुपये प्रति लीटर पड़ेगी, जबकि देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा चुकी है। इस प्रकार फ्लैक्स फ्यूल से आम आदमी को प्रति लीटर 30 से 35 रुपये की बचत हो पाएगी। साथ ही ग्राहकों के पास कच्चे तेल से बने ईंधन के अलावा 100 फीसदी इथेनॉल से बना ईंधन इस्तेमाल करने का विकल्प होगा।
ये है सरकार का नया लक्ष्य
गडकरी ने कहा कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल निर्माता पहले से ही फ्लैक्स फ्यूल इंजन बना रहे हैं ताकि लोगों के पास कच्चे तेल के ईंधन और बायो-इथेनॉल ईंधन दोनों के इस्तेमाल करने का विकल्प मिल सके। इसके अलावा पिछले साल ही सरकार ने 2022 तक 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग और 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था। इसे बदलकर अब 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा गया है।
आयात शुल्कत कम करने में मिलेगी मदद
गडकरी ने बताया कि सात साल पहले यानी 2014 में करीब 1-1.5 फीसदी इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता था, पर आज 8.5 फीसदी इथेनॉल मिलाया जाता है। इसके अलावा इथेनॉल की सरकारी खरीदारी भी 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 320 करोड़ लीटर पर पहुंच गई है। इससे आयात शुल्क तो कम होगा ही, साथ ही वायु प्रदूषण को कम करने के साथ कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता भी कम हो सकेगी।
स्वदेशी इथेनॉल से मिलेगा फायदा
गडकरी का कहना है कि देश में मक्का, चीनी और गेहूं बहुतायत में है और इनको खाद्यान्नों में रखने के लिए सरकार के पास जगह नहीं है। इसलिए सरकार ने खाद्यान्न और गन्ने के रस का उपयोग करके इथेनॉल का बनाने का सुझाव दिया है। गौरतलब है कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू बाजार की कीमतों से अधिक है, इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
क्या होता है फ्लैक्स-फ्यूल?
फ्लैक्स-फ्यूल वाहनों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो ऑटोमोटिव ईंधन पर चलने के लिए पर्याप्त लचीलापन प्रदान करता है। इसे गैसोलीन के साथ इथेनॉल को मिला कर या शुद्ध इथेनॉल के रूप में भी बनाया जाता है। E85 फ्लैक्स ईंधन सबसे सामान्य रूप से मिलने वाला ईंधन है। E85 एक गैसोलीन मिश्रण है जिसमें 85 प्रतिशत तक इथेनॉल मिला होता है। हालांकि, वास्तविक मिश्रण 51 प्रतिशत और 83 प्रतिशत के बीच होता है।