चीन ने किया सड़क से ऊपर उठकर चलने वाली दुनिया की पहली कार का परीक्षण
हाल ही में चीन में एक ऐसी कार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है जो चुंबकीय तकनीक (मैग्लेव) पर आधारित है। यह अपने आप में एक अनोखी पहल है और भविष्य में आने वाली फ्लाइंग कारों की तरफ एक बड़ा कदम हो सकता है। चीन में यह टेस्ट 2,800 किलोग्राम वजनी कार पर किया गया, जो अपने टायरों पर चलने के बजाय एक चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से सड़क की सतह से 35 मिलीमीटर ऊपर हवा में तैरती है।
क्या है मैग्लेव तकनीक?
मौजूदा समय में मैग्लेव (चुंबकीय उत्तोलन से प्राप्त) आधुनिक ट्रेनों में प्रयोग होने वाली एक तकनीक है, जिसमें विद्युत चुम्बकों के दो सेट का इस्तेमाल किया जाता है। ये सेट ट्रेन को तेज गति से आगे और पीछे चलाते हैं। गौरतलब है कि चीन ने साल 2004 में शंघाई में अपनी पहली मैग्लेव ट्रेन का अनावरण किया था। हालांकि इस तकनीक पर आधारित दुनिया की पहली ट्रेन 1984 में इंग्लैंड के बर्मिंघम में चलाई गई थी।
230 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर हुआ टेस्ट
इस सप्ताह पूरे किए गए टेस्ट में यह मैग्लेव कार 230 किलोमाीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार पकड़ने में कामयाब रही थी। यह स्पीड चीन में राष्ट्रीय राजमार्गों की गति सीमा के दोगुने से भी अधिक है।
यह था इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य
चीन में मैग्लेव तकनीक पर दुनिया की इस पहली कार का परीक्षण चेंगदू के जियाओतोंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य मैग्लेव तकनीक को कार सेगमेंट में व्यापक पैमाने पर अपनाने में आने वाले खर्च का अनुमान लगाना है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह तकनीक कारों के जीवनकाल को बहुत अधिक समय के लिये बढ़ा सकती हैं और साथ ही ऊर्जा की खपत को भी कम कर सकती हैं।
चीन है इस परिवहन तकनीक में सबसे आगे
2004 में शंघाई में शुरू की गई मैग्लेव ट्रेन के बाद से चीन इस परिवहन तकनीक में अग्रणी बन गया है। शंघाई ट्रांसरैपिड दुनिया के सबसे पुराने कमर्शियल मैग्लेव ट्रेन सिस्टम में से एक है, जो अभी भी संचालन में है। वर्तमान में यह 431 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ दुनिया की सबसे तेज इलेक्ट्रिक ट्रेन कही जाती है। हालांकि, चीन में एक 600 किलोमीटर प्रति घंटे की हाई-स्पीड ट्रेन का भी अनावरण हो गया है।
न्यूजबाइट्स प्लस
अल्बर्ट सी अल्बर्टसन परिवहन सेक्टर में इस तरह की तकनीक से उच्च गति वाहन बनाने के लिये पेटेंट पाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे। उन्हें 2 दिसंबर, 1902 में मैग्लेव तकनीक की शुरुआती खोज के लिये अमेरिका में पेटेंट प्रदान किया गया था।