ऑस्ट्रेलिया: काबू होने के बाद फिर सामने आने लगे कोरोना संक्रमण के मामले, कहां हुई चूक?
लगभग एक महीने पहले तक कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की तारीफ की जा रही थी। उस समय तक वहां रोजाना 10 से कम मामले सामने आ रहे थे। इसे देखते हुए कहा जा रहा था कि ऑस्ट्रेलिया भी न्यूजीलैंड, सिंगापुर और ताइवान की तरह संक्रमण को नियंत्रण में करने में सफल रहा है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। एक महीने बाद अब ऑस्ट्रेलिया फिर कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना कर रहा है।
'न्यू नॉर्मल' की तरफ लौटने लगा था जनजीवन
जून के मध्य में लगभग तीन महीने तक चले लॉकडाउन को हटाया गया था। इसके बाद जनजीवन पहले जितना सामान्य नहीं हो पाया था, लेकिन कोरोना काल में इसे 'न्यू नॉर्मल' कहा जा सकता था। देशभर में रेस्टोरेंट, जिम और बीच को लोगों के लिए खोल दिया गया था। सरकार अंतरराष्ट्रीय यात्रा शुरू करने पर भी विचार करने लगी थी। ऐसी चर्चाएं थी कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हवाई सेवाओं का संचालन शुरू किया जाएगा।
जुलाई में बदले जून के हालात
ये जून के मध्य की बात थी, लेकिन कुछ ही सप्ताह बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं। अब यहां 3,000 से ज्यादा सक्रिय मामले हैं और रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मेलबर्न में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है और इसे हटाने की समयसीमा अभी तय नहीं की गई है। पूरे देश में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
गलती कहां हुई?
19 जून को विक्टोरिया की उप प्रमुख मेडिकल अधिकारी एनालिएज वान डियेमन ने बताया कि सात ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमित पाया गया है, जो स्टैमफोर्ड प्लाजा होटल में काम करने वाले सुरक्षा गार्ड से मिले हुए थे। इस होटल में विदेश से आने वाले लोगों को 14 दिन तक अनिवार्य रूप से क्वारंटाइन किया जाता है। बताया जा रहा है कि इन सात लोगों ने दूसरें लोगों से मिलते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया था।
स्टैमफोर्ड प्लाजा से जुड़े हैं अधिकतर मामले
द गार्डियन के मुताबिक, इसी सप्ताह हुई एक न्यायिक जांच में बताया गया कि देश में सक्रिय हजारों मामलों में सभी नहीं तो अधिकतर स्टैमफोर्ड प्लाजा से जुड़े हुए हैं। यह जांच सरकार के उस फैसले की समीक्षा करेगी, जिसके तहत क्वारंटाइन के लिए तय किए गए होटलों में सुरक्षा के लिए निजी ठेकेदारों को ठेके दिए गए थे, जिन्होंने आगे वो ठेके किसी और को दे दिए। होटलों में तैनात कई गार्डों के पास पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं है।
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए लगा लॉकडाउन
शुरुआत में प्रशासन ने हॉटस्पॉट इलाकों में टेस्टिंग तेज की और लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया। बाद में संक्रमण को बढ़ते देख मेलबर्न में लॉकडाउन लागू कर दिया और लगभग 3,000 निवासियों वाली हाउसिंग सोसायटी के बाहर पुलिस तैनात कर दी। इसके बावजूद संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हुई। 7 जुलाई को विक्टोरिया में 191 नए मरीज मिले। इसके बाद प्रीमियर डेनियल एंड्रूज ने पूरे विक्टोरिया में छह सप्ताह के लिए लॉकडाउन लगा दिया।
बिना मास्क बाहर निकलने पर जुर्माना
लॉकडाउन लागू होने के तीन सप्ताह बाद अकेले विक्टोरिया में 4,213 नए मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 30 लोगों की मौत हो चुकी है, 201 मरीज अस्पताल में है, जिनमें से 41 को इनटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में रखा गया है। बीते बुधवार को पूरे ऑस्ट्रेलिया में रिकॉर्ड 484 नए मामले सामने आए। इसे देखते हुए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। बिना मास्क बाहर मिलने पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है।
लापरवाही बरत रहे लोग
शुक्रवार को 300 से अधिक नए मरीज मिले और छह लोगों की मौत हुई। एंड्रूज ने कहा कि जो संक्रमित अपने संपर्क में आए लोगों की फोन पर जानकारी नहीं दे रहे हैं उनके घर सेना को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग लक्षण दिखने के बावजूद खुद को आइसोलेट नहीं कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो संक्रमण के लक्षणों के बावजूद काम पर जा रहे हैं।