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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग का क्या है कारण और इसके क्या होंगे परिणाम? 
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग का कारण क्या है?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग का क्या है कारण और इसके क्या होंगे परिणाम? 

Dec 09, 2025
04:05 pm

क्या है खबर?

दक्षिण-पूर्व एशियाई देश थाईलैंड और कंबोडिया के बीच क्षेत्रीय दावों को लेकर चली आ रही दुश्मनी एक बार फिर खुले युद्ध में बदल गई। दोनों के बीच चले आ रहे युद्धविराम के बाद सोमवार को फिर से दोनों के बीच जंग छिड़ गई। इससे पहले दोनों के बीच जुलाई में जंग हुई थी। उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों के बीच युद्ध विराम कराया था। ऐसे में आइए दोनों देशों के बीच जंग का मुख्य कारण जानते हैं।

हालात

वर्तमान में कैसे हैं हालात?

दोनों देशों के बीच सोमवार से फिर से जंग शुरू हुई। इसमें अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में सीमा पर रहने वाले लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है। थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल ने अपनी संप्रभुता बनाए रखने के लिए जवाबी कार्रवाई की बात कही है। इधर, कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रेह विहियर प्रांत में पहला हमला थाई सेना ने किया है।

कारण

क्या है दोनों के बीच लड़ाई का कारण?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सदियों से शत्रुता का इतिहास रहा है। दोनों के बीच की 800 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा पर समय-समय पर तनाव की स्थिति बनी रहती है। प्रतिस्पर्धी क्षेत्रीय दावे 1907 के उस मानचित्र से उत्पन्न हुए हैं जो कंबोडिया पर फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाया गया था। थाईलैंड का दावा है कि यह मानचित्र गलत है और इसमें उसकी जमीन को कंबोडिया के हक में दिखाया गया है।

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नाराजगी

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले से नाराज हैं थाइलैंड के लोग

थाइलैंड के लोग अभी भी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 1962 के उस फैसले से नाराज हैं, जिसमें विवादित भूमि की संप्रभुता कंबोडिया को प्रदान की गई थी। उस फैसले की 2013 में दोबारा से पुष्टि की गई थी। इस असहमति ने 2008 और 2011 के बीच कई सशस्त्र झड़पों को हवा दी। 2008 में कंबोडिया द्वारा विवादित क्षेत्र में 11वीं शताब्दी के एक मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल करने का प्रयास करने पर बड़ी जंग शुरू हो गई थी।

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प्रयास

मलेशिया और अमेरिका ने किया शांति का प्रयास

दोनों देशों के बीच 2008 के बाद से बीच-बीच में झड़पें होती रही है, लेकिन इसका समाधान निकालने के लिए इस साल जुलाई में मलेशिया ने प्रयास शुरू किए। उसने दोनों देशों पर शांति वार्ता का दबाव डाला और राष्ट्रपति ट्रंप ने दोनों देशों के निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार के महत्व का लाभ उठाकर, महत्वपूर्ण व्यापार विशेषाधिकारों को रोकने की धमकी देकर उन्हें वार्ता की टेबल पर ले आए।

समझौता

दोनों देशों के बीच क्या हुआ समझौता?

जुलाई में दोनों देशों के बीच प्रारंभिक समझौते के बाद अक्टूबर में विस्तृत समझौता हुआ। इसकी शर्तों में बारूदी सुरंगों को हटाने के अभियानों का समन्वय, सीमा से भारी हथियारों और उपकरणों को हटाना, आपसी विश्वास बहाल करने के उपायों को लागू करना और हानिकारक बयानबाजी और झूठी सूचनाओं के प्रसार से बचना शामिल था। हालांकि, इनमें से किसी भी कार्रवाई को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया। ऐसे में बीच-बीच में झड़पे जारी रही।

शिकायत

दोनों देशों को एक-दूसरे से क्या है शिकायत?

कंबोडिया की बड़ी शिकायत यह है कि थाईलैंड ने अभी भी उसके 18 सैनिकों को बंदी बनाकर रखा है। थाईलैंड का आरोप है कि कंबोडिया विवादित क्षेत्रों में नई बारूदी सुरंगें बिछा रहा है जिससे थाई सैनिक अपंग हो गए हैं। कंबोडिया का कहना है कि ये सुरंगें 1999 में समाप्त हुए दशकों के गृह युद्ध के अवशेष हैं। हालांकि, कंबोडिया कैदियों को तुरंत रिहा न करने का दावा करते हुए लगातार थाईलैंड के प्रति उग्र बना रहा है।

प्रतिबंध

दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए प्रतिबंध?

दोनों देशों ने पिछले दो महीनों में एक-दूसरे पर सीमा प्रतिबंध लगाए हैं। सैन्य गतिरोध के कारण द्विपक्षीय संबंध पिछले दस वर्षों में सबसे खराब स्थिति में हैं। कंबोडिया में थाई फलों, सब्जियों, बिजली, इंटरनेट और थाई नाटकों सहित सांस्कृतिक सामग्री के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। थाईलैंड ने कंबोडियाई अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली इंटरनेट सेवाओं को रोक दिया और पर्यटकों द्वारा जुआ-संबंधी यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

संबंध

अमेरिका से कैसे हैं दोनों देशों के रिश्ते? 

थाईलैंड, अमेरिका के सबसे करीबी और सबसे पुराने सहयोगियों में से एक है। इसकी सैन्य क्षमता भी बहुत ज़्यादा है, जो उसकी हवाई शक्ति के इस्तेमाल की लगभग निर्विवाद क्षमता से साफ जाहिर है। हालांकि, कंबोडिया कूटनीतिक रूप से भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। वह उन शुरुआती देशों में से एक था जिसने ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार नामांकन का पुरजोर समर्थन किया था, यहां तक कि इसके समर्थन में प्रदर्शन भी किए थे।

परिणाम

क्या हैं दोनों के बीच युद्ध के संभावित परिणाम?

दोनों देशों के बीच इस लड़ाई से सबसे बड़ा खतरा पर्यटन उद्योग को है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है। इस लड़ाई से पर्यटक हतोत्साहित हो रहे हैं। इससे उनका व्यापार भी बाधित हो रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा भी पैदा हो गया है। ऐसे में अगर यह युद्ध लंबे समय तक जारी रहता है तो दोनों देशों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ सकता है।

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