LOADING...
कोरोना वायरस: गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचा सकते हैं स्टेरॉइड्स- विश्लेषण

कोरोना वायरस: गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचा सकते हैं स्टेरॉइड्स- विश्लेषण

Sep 03, 2020
11:04 am

क्या है खबर?

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के प्रयोग से गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों की मौत का खतरा 20 प्रतिशत कम हो जाता है। सात अंतरराष्ट्रीय स्टडीज के विश्लेषण में ये बात सामने आई है। इस विश्लेषण के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज की गाइडलाइंस में बदलाव कर दिया है और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए स्टेरॉइड्स का उपयोग करने की जोरदार सिफारिश की है।

विश्लेषण

सात देशों में हुए थे अलग-अलग स्टेरॉइड्स के ट्रायल

इस विश्लेषण में कोरोना वायरस के मरीजों पर कम डोज में हाइड्रोकॉर्टिकोसोन, डेक्सामेथासोन और मिथाइलप्रेड्निसोलोन के ट्रायल्स के आंकड़े इकट्ठा किए गए थे। ये सात ट्रायल्स ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, स्पेन और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने किए थे। विश्लेषण में सामने आया कि ICU में पहुंचने वाले कोरोना वायरस के मरीजों को ये स्टेरॉइड्स देने पर उनके जिंदा रहने की संभावना में सुधार आता है और उनकी मौत का खतरा 20 प्रतिशत कम हो जाता है।

बयान

प्रति 1,000 मरीजों पर बचाई जा सकेगी 87 अतिरिक्त लोगों की जान

शोधकर्ताओं ने अपने एक बयान में कहा, "इसका मतलब पहले यहां कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग न करने पर सबसे गंभीर रूप से बीमार लगभग 60 प्रतिशत मरीज बच रहे थे, अब कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग करने पर लगभग 68 प्रतिशत मरीज बच रहे हैं।" WHO के क्लिनिकल केयर विभाग की प्रमुख जेनेट डियाज ने कहा, "सबूत दिखाते हैं कि अगर आप कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स देते हैं तो प्रति 1,000 मरीजों पर 87 कम मौतें होती हैं। ये बचाए गए जीवन हैं।"

Advertisement

बयान

सस्ती और आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा हैं स्टेरॉइड्स- शोधकर्ता

विश्लेषण करने वाली टीम में शामिल ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोनाथन स्टर्न ने कहा, "स्टेरॉइड्स सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवा है औ हमारे विश्लेषण से इस बात की पुष्टि होती है कि वे कोविड-19 से सबसे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित लोगों में मौतों घटाने में प्रभावी हैं।" उन्होंने कहा कि उम्र, लिंग और कितने लंबे से व्यक्ति बीमार है, इससे परे सभी मरीजों पर दवाओं का समान असर देखने को मिला।

Advertisement

अन्य

विश्लेषण से हुई जून में आए डेक्सामेथासोन के ट्रायल के नतीजों की पुष्टि

'जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' में प्रकाशित इस विश्लेषण से जून में प्रकाशित डेक्सामेथासोन के उस ट्रायल की पुष्टि होती है जिसमें इसमें कोरोना वायरस की जीवन रक्षक दवा बताया गया था। ब्रिटेन में हुए इस ट्रायल में सामने आया था कि डेक्सामेथासोन का उपयोग करने पर वेंटीलेटर पर चल रहे कोरोना के मरीजों में मौत का खतरा 40 प्रतिशत से 28 प्रतिशत और ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे मरीजों में 25 प्रतिशत से 20 प्रतिशत पर आ गया।

जानकारी

अभी तक नहीं मिला है कोरोना वायरस की बेहद कारगर उपचार

बता दें कि अभी तक कोरोना वायरस के खिलाफ बेहद कारगर दवा नहीं मिली है और डेक्सामेथासोन पहली ऐसी दवा थी जो मरीजों की जान बचाने में कुछ असरदार साबित हुई थी। रेमडेसिवीर आदि दवाएं मरीजों को राहत देती हैं, लेकिन जीवन रक्षक नहीं हैं।

Advertisement