मोरक्को के विनाशकारी भूकंप में तबाह हुआ पूरा एक गांव, निवासी बोले- यहां जीवन समाप्त हुआ
क्या है खबर?
अफ्रीका के देश मोरक्को में शुक्रवार देर रात आए विनाशकारी भूकंप के बाद हर तरफ तबाही का मंजर है। इसमें 2,122 लोगों की मौत हुई है और 2,421 लोग घायल हुए हैं। ये आंकड़े बढ़ सकते हैं।
भूकंप के केंद्र रहा एटलस पहाड़ों से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित तिख्त गांव पूरी तरह मलबे में तब्दील हो चुका है।
समाचार एजेंसी AP के मुताबिक, तिख्त गांव में करीब 100 परिवार रहते थे, लेकिन अब यहां कुछ भी नहीं बचा है।
स्थिति
गांव में करीब 70 लोगों की हुई मौत- रिपोर्ट
तिख्त गांव में चारों तरफ लकड़ियों, पत्थरों और जूतों का ढेर मौजूद है। लोगों का कहना है कि उन्होंने क्षेत्र में इससे पहले इतने विनाशकारी भूकंप के बारे में नहीं सुना।
बतौर रिपोर्ट्स, गांव में करीब 70 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य लोगों की मलबे में दबे होने की आशंका है।
एक स्थानीय निवासी मोहसिन अक्सुम ने कहा, "यहां जीवन समाप्त हो गया है, अब यह गांव मर चुका है।"
राहत
गांव में प्रभावित लोगों को पहुंचाई जा रही राहत
गांव में भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद के लिए पीले तंबू लगाकर अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं। इन राहत शिविरों में जीवित बचे लोगों के रहने और खाने के लिए व्यवस्था की गई है।
सरकार की एजेंसियां और कई गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य तिख्त गांव के लोगों की जरूरतों का आंकलन करते हुए जरूरत का सामान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
कई ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें नहीं पता आगे क्या करना होगा।
तबाही
मिट्टी और पत्थर से बने थे ज्यादातर घर
अन्य गांवों की तरह तिख्त गांव के ज्यादातर घर भी मिट्टी, पत्थर और लड़की से तैयार किए गए थे, जो भूकंप के तेज झटकों के बाद पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।
हालांकि, कुछ घरों में स्टील की रॉड का इस्तेमाल हुआ था।
भूकंप में अपने परिवार के कई सदस्यों को खो चुके 23 वर्षीय छात्र अब्देलरहमान एडजाल ने कहा कि लोगों ने अपने घर बनाते समय किसी भूकंप के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी।
नुकसान
न्यूजबाइट्स प्लस
मोरक्को में आए भूंकप में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर घोषित की गई जेमा अल फना स्थित 12वीं सदी की कुतुबिया मस्जिद को भी नुकसान हुआ है। मस्जिद का 226 फीट ऊंचा मीनार क्षतिग्रस्त हुआ है।
अधिकांश मौतें अल-हाउज, मराकेश, ऊराजाजाते, अजीलाल, चीचाउआ और टैरोडां प्रांत में के पर्वतीय क्षेत्रों में दर्ज की गईं हैं।
रेड क्रॉस का कहना है कि भूकंप की वजह से हुए नुकसान से उबरने में सालों का वक्त लग जाएगा।